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PMFBY: केंद्र सरकार का पीएम फसल बीमा योजना पर बड़ा फैसला, इस बदलाव से किसानों को होगा सीधा लाभ

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PM Fasal Bima Yojana: बीते कुछ वर्षों में बदलती जलवायु का असर कृषि पर भी देखा जा रहा है। इसके चलते कृषि में कई तरह की मुश्किलें भी देखी जा रही है। बेमौसम बारिश, बाढ़, सूखा, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को बड़ा नुकसान भी हो रहा है।  किसानों के इस नुकसान की भरपाई के लिए देश की केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal ​Bima Yojana) भी चलाई है। ताजा खबरों की मानें तो अब केंद्र सरकार ने पीएम फसल बीमा योजना (PMFBY) में किसान हितैषी बदलाव करने का भी फैसला किया है। कृषि सचिव मनोज अहूजा ने बताया कि अब दिन पर दिन नई तकनीकें भी विकसित हो रही हैं, लेकिन अब जलवायु संकट का खतरा भी काफी बढ़ रहा है। इन सभी चुनौतियों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने किसानों के लाभ के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कुछ बदलाव करने का फैसला अब किया है।

इस बार इन राज्यों में हुआ भारी नुकसान

इस वर्ष मौसम की अनिश्चितताओं के कारण खरीफ फसलों में भी भारी नुकसान देखने को मिला। पहले मानसून की बारिश में देरी के कारण खरीफ फसलों की बुवाई में देरी हुई। वहीं बाद में मानसून की वापसी ने खड़ी फसलों को पानी में भी डुबा दिया। इस बीच महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब में सबसे अधिक नुकसान देखने को मिला। वहीं मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों में कम बारिश के कारण सूखा जैसे हालात भी पैदा हो गए। मौसम की मार से धान, दलहन और तिलहन जैसी फसलों की पैदावार पर बुरा असर पड़ा और किसानों को भी बड़ा नुकसान पहुंचा। पिछले कुछ सालों में इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही है, लेकिन आने वाले समय में इन बदलावों का नुकसान किसानों को ना झेलना पड़े, इसलिए सरकार ने अहम बदलाव करने का फैसला भी किया है।

प्रकृति की मार से किसानों को बचाना जरूरी

कृषि सचिव मनोज अहूजा ने मीडिया से बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण खेती-किसानी पर सीधा असर भी होता, इसलिए देश के कमजोर किसान वर्ग को प्रकृति की इस मार से बचाना बेहद जरूरी है। इन सभी रुझानों के मद्देनजर फसल बीमा की मांग बढ़ने की भी संभावनाएं भी प्रबल है। ऐसे में किसानों को सही बीमा सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ फसल, ग्रामीण और कृषि उत्पादों के अन्य रूप पर अधिक जोर देना होगा।

इनोवेशन, तकनीक और डिजिटाइजेशन की भी अहम भूमिका

कृषि सचिव ने बताया कि खेती के अनुसार फसल बीमा योजना का लाभ पहुंचाने में इनोवेशन, तकनीक और डिजिटलाइजेशन ने अहम रोल भी अदा किया है। कृषि मंत्रालय ने बताया कि किसानों के रजिस्ट्रेशन के मामले में पीएम फसल बीमा योजना दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बनकर भी उभरी है, जिसके तहत हर साल 5.50 करोड़ किसान रजिस्टर भी होते हैं।

वहीं ब्याज प्राप्ति के मामले में भी ये दुनिया की तीसरी बड़ी योजना भी है। इस योजना को अपनाने के लिए तमाम जागरुकता कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं। साथ ही खेती में आ रही तमाम चुनौतियों का समाधान भी किया जाता है। इस बीच फसल बीमा योजना में किसानों की पुरानी मांगे भी थी, जिन्हें पूरा करने के लिए अब बदलाव किए जा रहे हैं, जो सभी राज्यों के लिए मददगार भी साबित होंगे।

क्यों बाहर हुए कई राज्य

कृषि सचिव अहूजा ने बताया कि कई राज्यों मे पीएम फसल बीमा योजना से बाहर निकलने का फैसला भी किया है, जिसके पीछे मुख्य कारण है कि राज्य के वित्तीय संकट। ये राज्य प्रीमियम सब्सिडी में अपना हिस्सा देने में असमर्थ हैं, लेकिन योजना में बदलाव और तमाम मुद्दों के समाधान के बाद अब आंध्र प्रदेश भी दोबारा इस लिस्ट में शामिल हुआ।

जल्द पंजाब भी इस योजना में जुड़ने जा रहा है। कृषि सचिव ने बताया कि किसानों की बेहतरी के लिए ज्यादातर राज्यों ने पीएम फसल बीमा योजना के क्षतिपूर्ति मॉडल को भी अपनाया। सचिव ने यह भी याद दिलाया कि पीएम फसल बीमा योजना से किसानों को समग्र भुगतान नहीं मिलता, बल्कि कुछ आंशिक भरपाई भी होती है।

बीते 6 सालों में बढ़ी भागीदारी

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर भी सहयोग करती हैं। इस पर कृषि सचिव अहूजा ने बताया कि बीते 6 साल में किसानों से मात्र 25,186 करोड़ रुपये का प्रीमियम लिया गया, जबकि नुकसान की भरपाई के तौर पर 1,25,662 करोड़ रुपये किसानों को भी मिले हैं।

वर्ष 2016 में लागू हुई इस योजना में बीते 6 साल में अच्छा प्रदर्शन किया है। गैर-ऋणी किसान, छोटे और सीमांत किसानों का भी रुझान अब फसल बीमा योजना में बढ़ता ही जा रहा है, जिससे किसानों की संख्या में भी 282 प्रतिशत की ग्रोथ भी दर्ज हुई है।

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