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Kissan Scam: मोदी सरकार की पीएम किसान योजना में फर्जीवाड़े के बाद, अब फसल बीमा योजना में घोटाला, पढ़ें पूरी खबर

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The Chopal, नई दिल्ली: महाराष्ट्र राज्य में कई किसानों ने फर्जी तरीके से फसल बीमा योजना का फायदा उठाया है. और इस बात का खुलासा एक आरटीआई याचिका के बाद हुआ है. मिली जानकारी के मुताबिक केला, अनार और मीठे फलों की बागानी से जुड़े कई किसानों ने फर्जी कलेम का दावा कर बीमा के पैसे भी उठा लिए. वहीं, घटना का खुलासा होने के बाद अब केंद्र सरकार ने राज्य को मामले की जांच करने का आदेश दिया है. साथ ही कहा जा रहा है कि अब फर्जी किसानों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

इंडयिन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, पिछले साल कृषि विभाग को एक आरटीआई आवेदन में मिला था. इस आवेदन के तहत मीठे नींबू के बगीचे में हुए कथित नुकसान के लिए बीमा कलेन को लेकर जमा किए गए दस्तावेजों की सभी डिटेल्स मांगी गई थी. इसके बाद कृषि विभाग ने आरटीआई आवेदक के साथ दावेदार की डिटेल्स भी शेयर की, जिसमें आधार कार्ड, बैंक विवरण और बाग की जियोटैग की गई तस्वीरें भी शामिल थीं. खास बात यह है कि सांगली जिले के जाट तालुका के बलगांव गांव के कुछ किसानों ने फर्जी तरीके से फसल बीमा का लाभ भी उठाया है.

उसने अपनी जमीन को पट्टे पर नहीं दिया था

सारी डिटेल्स मिलने के बाद आरटीआई आवेदक और बाग के कानूनी मालिक, शिवानंद नागप्पा निला ने विभाग को बताया कि फसल बीमा में फर्जी तरीके से धोखाधड़ी भी की गई है. उन्होंने कहा कि मैं मौसमी फसलों की खेती करता हूं, लेकिन मीठा चूना भी नहीं उगाता हू्. शिवानंद नागप्पा निला के मुताबिक, शवरसिद्ध साईबन्ना दुग्धी ने कथित तौर पर बीमा का कलेम करने के लिए उसकी जमीन को गलत उपयोग किया. इसके लिए उसने एक गैर-नोटरीकृत लीज डीड जमा भी की थी, जबकि शिवानंद ने विभाग को बताया कि उसने अपनी जमीन को पट्टे पर नहीं दिया था.

उसके खिलाफ अभी कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था

वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों ने अब खुलासा किया है कि इस साल की शुरुआत में, दुग्धी ने चालू (जुलाई-जून) बीमा वर्ष में कथित ‘फसल नुकसान’ के मुआवजे के रूप में 1.58 लाख रुपये का दावा भी किया. और उसके खाते में ये बीमा राशि पहुंच भी गई. जब विभाग के अमले ने पूछताछ शुरू की तो दुग्धी ने पैसे वापस भी कर दिए. हालांकि, उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज भी नहीं किया गया था.

जांच से पता चला कि गांव में फसल बर्बाद नहीं 

इसके बाद विभाग को पता चला कि आरोपी ने साल 2021-22 के बीमा वर्ष में भी इसी तरह के कई तौर-तरीके अपनाए थे और 17.44 हेक्टेयर में कथित रूप से उगाई गई फसलों पर 2.10 लाख रुपये तक का कलेम भी किया था. तब उसने जाट तालुका के बलगांव और हल्ली गांवों में बीमा कराया था. वहीं, कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार के कार्यालय ने कहा कि आयुक्त ने जमीनी सच्चाई जानने के लिए जांच का तुरंत आदेश दिया है. वहीं विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, धोखाधड़ी फेहरिस्त बहुत बड़ी है. इसी तरह के घोटाले कोल्हापुर, जलगांव, सोलापुर, धुले, नागपुर और पुणे में उजागर भी हुए हैं. अकेले कोल्हापुर जिले के अलास गांव के कुल 36 किसानों ने साल 2022-23 में अपने ‘अंगूर के बागों’ को हुए नुकसान के लिए फसल बीमा का दावा भी किया था. जमीनी जांच से पता चला कि गांव में फसल बर्बाद हुई नहीं है.

किसानों के खिलाफ कार्रवाई अब होगी

इसी तरह महाराष्ट्र के जलगांव इलाके में, 77,347 किसानों ने 81,016.06 हेक्टेयर में उगाई गई फसलों के लिए बीमा कलेम भी किया था. यहां पर भी जांच में यह खुलासा हुआ कि 21,413.19 हेक्टेयर में केले का कोई बागान भी नहीं था. वहीं, पुणे में चौंसठ किसानों ने अपनी अनार की फसल का बीमा कराया था. जांच से पता चला कि सिर्फ दो किसानों के पास अनार के बाग थे. अब केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सहायक आयुक्त (क्रेडिट) सुनील कुमार ने बीमा कंपनियों और राज्य सरकार से आरडब्ल्यूबीसीआईएस के तहत बीमित फसलों का सत्यापन करने और धोखाधड़ी करने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा है.

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