भूजल संकट को लेकर मोदी सरकार ने बनाया मास्टर प्लान, इस तरह दूर होंगी सिंचाई समस्या, किसानों को मिलेगा डबल फायदा
The Chopal, नई दिल्ली: भारत देश के कई राज्यों में लगातार हो रही ग्राउंड वाटर लेवल में गिरावट को ध्यान हुए केंद्र सरकार भी सतर्क हो गई है. यही कारण है कि केंद्र ने ग्राउंड वाटर लेवल में सुधार लाने के लिए अमृत सरोवर योजना भी बनाई है. इस योजना के तहत देश के गावों में हजारों तालाब भी बनाए जा रहे हैं. इन तालाबों से सिंचाई तो होगी ही, साथ में मछली पालन करने से किसानों की कमाई भी अब बढ़ेगी.
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ताजा जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार इस साल 15 अगस्त तक 50 हजार सरोवर देश को समर्पित भी करेगी. इस योजना के पहले चरण में 40 हजार तालाब बनकर तैयार भी हो चुके हैं, जिसे देश को समर्पित भी किया जा चुका है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की इस योजना को पिछले साल ही प्रधानमंत्री ने लांच भी किया था. इस योजना के तहत हरेक जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने के साथ- साथ उसका कायाकल्प भी किया जाएगा. सरकार का मानना है कि इससे ग्रामीण इलाके में पानी की समस्या में कमी भी आएगी. साथ ही किसानों सिंचाई करने के लिए समय पर पानी भी मिल सकेगा.
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देश में सभी एक साथ मिल कर काम कर रहे हैं
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 11 महीने के अंदर ही लक्ष्य का 80 % काम पूरा भी हो गया है. जन भागिदारी के तहत देश में सरोवर बनाने के लिए 54 हजार से अधिक उपभोक्ता समूह भी बनाए गए हैं. इसी के जरिए तालाब बनाए जा रहे हैं. मजेदार बात यह है कि इस काम में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय, रेल मंत्रालय, सड़क परिवहन और राज मार्ग मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधिकारी भी लगे हुए हैं. सभी एक साथ मिल कर काम भी कर रहे हैं.
वहीं, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस योजना से ग्रामीण इलाके में पानी की समस्या भी कम होगी. साथ में किसान तालाबों में मछली पालन, बत्तख पालन, सिंधाड़े की खेती और मखाने की खेती कर अपनी इनकम को भी बढ़ा कसते हैं.
इन फसलों में सिंचाई की कम जरूरत
आपको बता दें कि देश में सबसे ज्यादा भूजल का दोलन फसलों की सिंचाई करने में भी होता है. पंजाब में 97 % तक भूजल का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है. इससे यहां पर जल संकट भी खड़ा हो गया है. कल ही खबर सामने आई थी कि भूजल स्तर में सुधार लाने के लिए सरकार धान की जगह अन्य फसलों की खेती को बढ़ाने देने पर विचार भी कर रही है. इसके लिए सरकार ने कमेटी भी गठित भी कर दी है. पंजाब सरकार का मानना है कि धान की फसल में बहुत ज्यादा पानी खर्च होता है. यदि इसकी जगह मक्का और कपास की खेती की जाए, तो भूजल स्तर में सुधार भी आएगा. क्योंकि इसमें सिंचाई की कम जरूरत भी होती है.
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