Edible Oil: खाद्य तेलों को लेकर केंद्र सरकार का बड़ा निर्णय, भावों पर डालेगा सीधा असर
Edible Oil : आज के दिन सरकार द्वारा देश की सभी रसोइयों में प्रयोग होने वाले खाने के तेल को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का सीधा प्रभाव किसानों और तेल की कीमतों पर पड़ने वाला है। भारत सरकार ने कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी में 20% का इजाफा किया है, जिसके मुताबिक तिलहन की कीमतों से जूझ रहे किसानों को सहायता देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
विदेशी खरीद में आएगी, गिरावट
इस महत्वपूर्ण निर्णय से रिफाइंड पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल के आयात पर 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जोकि पहले 13.75% थी। इसके चलते पाम तेल सोया तेल और सूरजमुखी तेल की विदेशी खरीद में भी गिरावट आने के आसार हैं।
खाद्य तेल की कीमतों में होगी, बढ़ोतरी
इस निर्णय से इन तेलों के कच्चे वेरिएंट भी प्रभावित होंगे। अब कच्चे पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर 27.5% इम्पोर्ट ड्यूटी लगेगी, जिसमें कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास सेस भी शामिल है (पहले 5.5% था)। केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के साथ मांग में कमी आ सकती है। स्थानीय तिलहन किसानों को बचाना और आयात को अधिक महंगा बनाना इस बढ़ोतरी का लक्ष्य है।
किसानों को होगा फायदा
वनस्पति तेल ब्रोकरेज फर्म सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया ने मीडिया को बताया कि लंबे वक्त से सरकार उपभोक्ताओं और किसानों के बीच संतुलन बनाने का प्रयत्न कर रही है। उन्होंने बताया कि इस फैसले से किसानों को सोयाबीन और रेपसीड की फसलों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलने की संभावना भी बढ़ी है। राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 4,892 रुपये से कम प्रति क्विंटल घरेलू सोयाबीन की कीमत लगभग 4,600 रुपये (54.84 डॉलर) है। भारत आयात से अपनी वनस्पति तेल की 70 प्रतिशत से अधिक मांग पूरी करता है। यह मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम तेल खरीदता है. इसके अलावा, यह सूरजमुखी और सोया तेल को अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से आयात करता है।