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Personal Loan Rule : पर्सनल लोन नहीं भरने पर क्या एक्शन लेगा बैंक, लोन लेने वालों के लिए जानना जरूरी

Personal Loan New Rules : पैसे की जरूरत में लोग अक्सर व्यक्तिगत लोन का उपयोग करते हैं।  कभी-कभी उच्च ब्याज दरों के कारण समय पर इसे चुकाना मुश्किल हो जाता है।  जब कोई लोन नहीं चुका पाता, तो उसे दुःख होता है।  ऐसी परिस्थितियों में बैंक कई प्रकार की कार्रवाई कर सकते हैं।  लोन नहीं चुकाने वालों (personal loan kaise le) के लिए इन नियमों को जानना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे ग्राहक की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।

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Personal Loan Rule : पर्सनल लोन नहीं भरने पर क्या एक्शन लेगा बैंक, लोन लेने वालों के लिए जानना जरूरी 

The Chopal, Personal Loan New Rules : कभी-कभी किसी जरूरत या आपातकाल में पैसे की जरूरत होती है।  अब बैंक लोन आसानी से देते हैं और लोन लेने की प्रक्रिया पहले की अपेक्षा तेज हो गई है।  पर्सनल लोन, विशेष रूप से ग्राहक को आसानी से मिलता है, लेकिन इसका जोखिम पूरी तरह से ग्राहक पर है।

 Personal Loan Interest, जो बिना किसी सुरक्षा के दिया जाता है, समय पर भुगतान करना ग्राहकों की जिम्मेदारी होती है।  उपभोक्ता पर लोन चुकाने का दबाव बढ़ सकता है और बैंक को यह स्थिति जोखिम में डाल सकती है।  ऐसे में बैंक कठोर कार्रवाई कर सकता है अगर व्यक्तिगत लोन नहीं भरता है।  लोन लेने वाले को इस बारे में पता होना चाहिए।

 भुगतान नहीं करने पर यह होगा:

 कभी-कभी लोग अपनी कमाई के कारण लोन नहीं चुका पाते हैं।  ऐसा होने पर बैंक पैसे खो सकता है।  बैंक को इस स्थिति में कानूनी कार्रवाई करनी पड़ी हो सकती है।  बैंक समय पर उधारी नहीं देने पर न्यायिक कार्रवाई का सामना कर सकते हैं (Action on loan defaulter)।  उपभोक्ता इसके बाद कठिन समस्याओं का सामना कर सकता है।  लोन चुकाने के नियम भी आपके वित्तीय इतिहास को खराब कर सकते हैं, जिससे आपको भविष्य में नई उधारी लेना मुश्किल हो सकता है।

 बैंक ऐसा कर सकते हैं—

 भारत में, उधारी न चुकाने पर वित्तीय संस्थान उपभोक्ता यानी डिफॉल्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर सकते हैं।  बैंक वेतन या संपत्ति को जप्त कर सकते हैं अगर भुगतान नहीं किया जाता है।  व्यक्ति को सिविल कोर्ट में ऋण केस होने पर न्यायिक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।  यह प्रक्रिया सिबिल स्कोर के साथ-साथ उपभोक्ता की वित्तीय स्थिति को और भी खराब कर सकती है और उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा सकता है।  इससे उसका पैसा प्रभावित हो सकता है।

 भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो जाएगा—

 Personal Loan EMI की अदायगी न करने से व्यक्ति का क्रेडिट इतिहास प्रभावित हो सकता है, जिससे भविष्य में धन मिलना मुश्किल हो सकता है।  बैंक इस तरह की स्थिति में ग्राहक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं, जिससे खराब परिणाम हो सकते हैं।  भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें जेल की संभावना भी है।  इस तरह के मामलों से वित्तीय जीवन पर दीर्घकालिक असर पड़ सकता है, जिससे नए क्रेडिट या लोन प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।

 बैंक इस तरह की वसुली कर सकते हैं—

 कभी-कभी वित्तीय संस्थानों को उधारी की वसूली में समस्याएं आती हैं।  जब बैंक खुद उधारी नहीं वसूल पाते, तो वे वसूली एजेंसियों का सहारा ले सकते हैं।  इस प्रक्रिया से उपभोक्ता को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा सकता है।  उपभोक्ता को परेशान करने वाले हालात का सामना करना पड़ सकता है, जो स्थिति को और भी मुश्किल बना सकता है।  उधारी न चुकाने वाले व्यक्ति को इससे अधिक चिंता और तनाव हो सकता है।  हालाँकि, रिकवरी रुल्स को लेकर बैंकों को आरबीआई (RBI) की ओर से कई निर्देश दिए गए हैं।

 आरबीआई के लोन रिकवरी नियम

 भारतीय केंद्रीय बैंक (Reserve Bank of India) का मानना है कि उपभोक्ताओं के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए वसूली प्रक्रिया में पारदर्शिता की जरूरत है।  ग्राहक को कर्ज न चुकाने या लोन डिफॉल्ट पर बैंकों से वसूली करने से पहले जानकारी दी जानी चाहिए।  आरबीआई के निर्देशों के अनुसार, बैंक को सम्मानपूर्ण और उचित तरीके से संपर्क करना चाहिए।  लोन न भर पाने पर बैंकों और रिकवरी एजेंटों को उनके अधिकारों का पालन करना होगा, ताकि कोई अनुचित व्यवहार या उत्पीड़न न हो।