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property deed : सेल डीड और लीज डीड में क्या है अंतर, जानिये प्रोपर्टी की कौन सी डीड कराना फायदे का सौदा

भूमि हस्तांतरण के कई तरीके हैं। सेल डीड, लीज डीड, गिफ्ट डीड या फिर पावर अटार्नी से किसी घर, मकान, दुकान या प् लॉट खरीद सकते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।

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सेल डीड और लीज डीड में क्या है अंतर, जानिये प्रोपर्टी की कौन सी डीड कराना फायदे का सौदा

The Chopal News : सेल डीड जमीन खरीदने पर आप उसके मालिक बन जाते हैं। वहीं, लीज डीड के माध्यम से संपत्ति खरीदने पर आपको मालिकाना हक केवल एक निश्चित अवधि के लिए मिलता है। 10 साल या 99 साल।

सेल डीडी एक दस्तावेज है जिसके द्वारा संपत्ति का मालिकाना हक विक्रेता से क्रेता के पास जाता है। सेल डीड स्टांप पेपर है। इसमें मालिकाना हक पूरी तरह मिलता है। यह स्थानीय उप-पंजीयक कार्यालय में भी पंजीकृत होता है। सेल डीड रजिस् ट्रेशन के बाद संपत्ति का दाखिल भी खारिज होता है।

डीड लीज

लीज डीड भी संपत्ति खरीदने का एक तरीका है। इसमें संपत्ति कुछ वर्षों से 99 साल तक लीज पर दी जाती है। इस तरह की संपत्ति हस् तांतरण में, क्रेता को संपत्ति के सभी अधिकार मिलते हैं, लेकिन ये अधिकार अनिश्चित काल के लिए ही हैं। लीज डीड पहले बहुत लोकप्रिय था। सरकारें अक्सर लीज वाली संपत्ति को सेल डीड वाली संपत्ति बनाने के लिए प्रस्ताव जारी करती हैं। इसमें संपत्ति की रजिस्ट्री कराने के लिए प्रति वर्ग फुट या प्रति यार्ड शुल्क देना आवश्यक है।

सेल डीड या लीज डीड

विक्रेता से संपत्ति खरीदने पर मालिकाना हक को क्रेता को देने का सबसे अच्छा तरीका सेल डीड है। तहसील में जमीन खरीदने और बेचने के लिए क्रेता और विक्रेता मिलकर सेल डीड बनाते हैं। यह दोनों पक्षों (विक्रेता-क्रेता) द्वारा किए गए समझौते का कानूनी अभिलेख है। जो संपत्ति का सौदा बताता है। इसमें क्रेता-विक्रेता की पूरी जानकारी, संबंधित जमीन, नक्शा, सबूत और स्टांप शामिल हैं। इसके द्वारा विक्रेता क्रेता को भूमि का अंतिम अधिकार देता है।

जब सेल डीड रजिस्टर्ड हो जाता है, तो बिक्री समझौता समाप्त हो जाता है। सेल डीड को पंजीकृत करना अनिवार्य है। सेल डीड पंजीकृत नहीं होने तक खरीदार कानूनन मालिक नहीं बन सकता। सेल डीड पंजीकृत और दाखिल-खारिज होने के बाद खरीदार संपत्ति का स्थायी स्वामी बन जाता है। वहीं, लीज डीड कराकर कोई भी व्यक्ति सदा के मालिक नहीं बन सकता। उसे उस संपत्ति को केवल निर्धारित अवधि के लिए ही उपयोग करने का अधिकार है।

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