RBI का मुफ़्त योजनाओं को लेकर आया बड़ा अपडेट, इन राज्यों की किया सतर्क
RBI - आरबीआई ने राज्यों को उनकी आर्थिक नीतियों के प्रति सतर्क करते हुए एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में परिवहन, मुफ्त बिजली और कृषि ऋण माफी जैसी योजनाओं का उल्लेख किया गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का कहना है कि ऐसी सुविधाएं राज्यों के संसाधनों पर भारी दबाव डाल सकती हैं, आरबीआई की इस रिपोर्ट से जुड़ी पूरी जानकारी के लिए इस खबर को पूरा पढ़ें:
The Chopal, RBI - आरबीआई ने राज्यों को उनकी आर्थिक नीतियों के प्रति सतर्क करते हुए एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कृषि ऋण माफी, मुफ्त बिजली और परिवहन की योजनाएं शामिल हैं। ऐसी सुविधाएं राज्यों के संसाधनों पर भारी दबाव डाल सकती हैं, जो उनके सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे को प्रभावित कर सकती हैं, रिज़र्व बैंक ने कहा। (RBI की नवीन दिशानिर्देशिका)
RBI ने राज्यों को चेतावनी दी—
RBI की एक रिपोर्ट, जिसका शीर्षक राज्य वित्त 2024–25 के बजट का एक अध्ययन है, बताती है कि राज्यों ने राजकोषीय घाटे को कम करने में सफलतापूर्वक प्रगति की है। पिछले तीन वर्षों (2021–2022–2024) में राज्यों ने अपना सकल राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) GDP के 3% के भीतर रखा है। राजस्व घाटे को भी 2022–2023 और 2023–2024 में जीडीपी के 0.2% पर सीमित रखा गया था।
राजकोषीय घाटे में कमी के बावजूद, कई राज्यों ने अपने बजट में ऐसी योजनाओं की घोषणा की है, जिनसे उनके वित्तीय संसाधनों पर भारी बोझ पड़ सकता है (RBI नवीनतम अपडेट)। इनमें कृषि ऋण माफी, फ्री बिजली, परिवहन, बेरोजगार युवा भत्ता और महिलाओं को नकद सहायता शामिल हैं।
बढ़ी हुई सब्सिडी और इसके परिणाम—
रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्सिडी पर खर्च में तेज वृद्धि एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। यह वृद्धि मुख्यतः कृषि ऋण माफी, नकद हस्तांतरण और मुफ्त सेवाओं (जैसे बिजली, गैस सिलेंडर, परिवहन) से हुई है। RBI ने चेतावनी दी है कि ऐसी नीतियों के चलते राज्यों के पास संसाधन सीमित हो सकते हैं। राज्य अपनी महत्वपूर्ण विकास योजनाओं को पूरा करने में असमर्थ हो सकता है।
राज्यों को दिए गए सुझाव:
सब्सिडी खर्च को नियंत्रित करना: राज्यों को सब्सिडी का खर्च नियंत्रित और तर्कसंगत बनाना चाहिए।
विकास: राज्यों को व्यय की गुणवत्ता में सुधार करने और पूंजीगत खर्च को बढ़ाना चाहिए।
दीर्घकालिक योजनाओं का पालन करें: राज्यों को बढ़ते सब्सिडी बोझ और उच्च ऋण-जीडीपी अनुपात के कारण दीर्घकालिक नीतियां अपनानी चाहिए जो राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित कर सकें।
GDP अनुपात में सुधार, चिंताएं जारी हैं—
आरबीआई (Reserve Bank of India) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि राज्यों की कुल बकाया देनदारियां मार्च 2024 के अंत तक जीडीपी के 28.5% पर आ जाएगी, जो मार्च 2021 में 31 प्रतिशत थीं। हालाँकि, यह महामारी से पहले के स्तर से अधिक है।
क्या समाधान है?
राज्यों को अपनी प्राथमिकताएं बदलनी चाहिए। मुफ्त योजनाओं के स्थान पर आवश्यक नीतियां लागू होनी चाहिए। इसके अलावा, व्यय की गुणवत्ता में सुधार और राजस्व में वृद्धि के लिए नए स्रोतों की खोज बहुत जल्दी होगी।