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RBI के इन गवर्नर का कभी नहीं आया नोटों पर साइन, जानिए क्या है वजह

RBI news : भारतीय मुद्रा में प्रचलित नोटों पर गवर्नर के हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से होते हैं, लेकिन अगर आप जानते हैं कि आरबीआई के कुछ गवर्नर ने कभी नोटों पर अपना हस्ताक्षर नहीं रखा था, तो आपको यकीन होगा कि यह बात हैरान कर देगी। यह सच है कि आरबीआई (RBI Update) में कुछ गवर्नर ऐसे भी रहे हैं जो अपने कार्यकाल में कोई नोट नहीं साइन किया था। आइए जानते हैं कि ये गवर्नर कौन हैं और उनका कार्यकाल क्या था।

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RBI के इन गवर्नर का कभी नहीं आया नोटों पर साइन, जानिए क्या है वजह 

The Chopal, RBI news : RBI गवर्नर के रूप में आपको सेवा के दिनों में नोटों पर साइन करना होगा। RBI के हर गवर्नर को अपने कार्यकाल में यह परंपरा माननी पड़ती है, लेकिन आपको बता दें कि आरबीआई के इतिहास में कुछ गवर्नर ने इस परंपरा को नहीं मान लिया और एक भी नोट पर हस्ताक्षर नहीं किए। यह उनका स्वतंत्र निर्णय था, इसलिए उन पर कोई प्रभाव नहीं था।

गवर्नर के हस्ताक्षर इसका प्रमाण हैं—

भारतीय करेंसी (इंडियन करेंसी) के हर नोट पर रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि ये मुद्रा रिजर्व बैंक ने जारी की है। यह भी गवर्नर की जिम्मेदारी है। यही कारण है कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर का साइन हर बड़े नोट पर होता है, जो 500 रुपये के नोट अपडेट से लेकर 10 रुपये के छोटे नोट तक होते हैं। लेकिन कुछ गवर्नर ने अपना कार्यकाल खत्म होने पर भी किसी नोट पर साइन नहीं किया।

RBI के पहले गवर्नर: 

26 दिसंबर 1876 को सर ओसबोर्न स्मिथ, आरबीआई का पहला प्रमुख था। उनके पास बैंकिंग क्षेत्र में काफी अनुभव था, खासकर ऑस्ट्रेलिया में, जहां उन्होंने बैंक ऑफ न्यू साउथ वेल्स (Bank of New South Wales) में 20 साल और कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया (Commonwealth Bank of Australia) में 10 साल तक काम किया था। 1926 में वे भारत आए और इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी करने लगे। उनका योगदान और विशेषज्ञता ने उन्हें भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में सम्मान दिलाया। उन्हें 1 अप्रैल 1935 को स्थापित भारतीय रिजर्व बैंक का पहला गवर्नर नियुक्त किया गया था।

एक भी नोट पर उनका हस् ताक्षर नहीं था—

RBI के आम तौर पर सभी गवर्नर ने अपने कार्यकाल में कुछ नोटों पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन आपको हैरान होगा कि RBI के पहले गवर्नर सर ओसबोर्न स्मिथ ने अपने कार्यकाल में एक भी नोट पर हस्ताक्षर नहीं किए। विनिमय दरों और ब्याज दरों को लेकर उनकी नीतियों और सरकारी दृष्टिकोण में अंतर था। इसलिए उनका और सरकार का मतभेद था। यह असहमति बढ़ने के बाद, उन्हें साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरा किए बिना 18 महीने में ही इस्तीफा देना पड़ा।

दूसरे गवर्नर, जिन्होंने किसी नोट पर हस् ताक्षर नहीं दिया—

गवर्नर के. जी. आंबेगांवकर और सर ओसबोर्न स्मिथ दोनों ने नोट पर हस् ताक्षर नहीं किया था। 14 जनवरी 1957 से 28 फरवरी 1957 तक वह आरबीआई के पांचवें गवर्नर थे। वह अंतरिम गवर्नर रहे, लेकिन नोट पर हस्ताक्षर नहीं किए। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बनने से पहले, आंबेगांवकर भारत में वित् त सचिव थे। लेकिन वित् त सचिव के रूप में उन् होंने एक रुपए के नोट पर साइन किया था।