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Loan Default वालों को मिली हाईकोर्ट से राहत, नहीं चलेगी बैंक की मनमानी

Loan terms and conditions : जरूरत के समय में अधिकांश लोग लोन लेते हैं। बाद में उनके लिए लोन का भुगतान करना मुश्किल हो जाता है। बैंक अक्सर लोन की शर्तें और शर्तें भुगतान न करने पर मनमानी करते हैं। कोर्ट में हाल ही में ऐसा ही मामला सामने आया है। आइए देखें कि हाईकोर्ट ने इस स्थिति को देखते हुए क्या निर्णय लिया है।

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Loan Default वालों को मिली हाईकोर्ट से राहत, नहीं चलेगी बैंक की मनमानी

loan default : जब लोग कठिन परिस्थितियों में लोन लेते हैं, तो कई कारणों से उनका भुगतान करना मुश्किल हो जाता है। बैंक आपके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है अगर आप लोन भुगतान नहीं करते हैं। दैनिक रूप से कोर्ट में लोन डिफॉल्ट के कई मामले सामने आते रहते हैं, जिसमें बैंक बार-बार अपने अधिकार का पालन करता दिखता है, लेकिन हाल ही में कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कोर्ट की इस निर्णय से सिर्फ बैंक और ग्राहक प्रभावित होंगे।

बैंक के खिलाफ कंपनी ने याचिका दी थी - 

बैंक लोन देता है, लेकिन उसे उस पैसे को वापस लेने का कोई अधिकार नहीं है। हाल ही में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ एक मामला कोर्ट में सामने आया था, जिसमें बैंक ने पहले कंपनी को अच्छी तरह से व्यवहार किया था, लेकिन जब कंपनी लोन नहीं चुका पाई, तो बैंक ने मनमानी करते हुए कंपनी और उसके पूर्व निदेशक को कानून के तहत दिवालियापन देने सहित कई कार्रवाई कीं। कंपनी ने इसका विरोध करते हुए कोर्ट में याचिका दी। 

दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किया गया मामला -

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट में लोन डिफॉल्ट का मामला दर्ज किया गया था। जिसमें बैंक लोन की वसूली के लिए कर्जधारक के साथ अनुचित व्यवहार नहीं कर सकते हैं कोर्ट ने बैंकों को बताया कि किसी भी व्यक्ति के मूल अधिकारों की रक्षा करना कानून (loan defaulter ke kanuni hak) का कर्तव्य है। वहीं, बैंक कर्ज चुकाने के लिए किसी व्यक्ति के मूल अधिकारों को कोई भी हनन नहीं कर सकता है। 

इतने करोड़ का लोन लिया गया था -

हाईकोर्ट के मामले में आरोपी संस्था ने कहा कि उसने अपने पूर्व निदेशक को लोन का गारंटर बनाकर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से लगभग 69 करोड़ रुपये का लोन लिया था। बाद में कंपनी का गारंटर कहीं और चला गया। वहीं दूसरी ओर, कंपनी भी लोन चुका नहीं पाई। इसके बाद बैंक ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। हालाँकि पूर्व निदेशक के खिलाफ भी लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया था, बैंक (Bank update on loan default) ने कर्ज की वसूली के लिए कंपनी को संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि बैंक कर्ज वसूली के लिए लुक आउट सर्कुलर जारी नहीं किया जा सकता जब तक कि कोई आपराधिक मामला नहीं होता। 

मूल अधिकारों का हनन बैंक नहीं कर सकता - 

मामले को देखते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से कहीं भी जा सकता है। फिर भले ही वह विदेशी हो। उसके मूल अधिकारों का हनन करना है कि उसे विदेश जाने से रोकें। इसलिए, बैंक ने जारी किया गया लुक आउट सर्कुलर (Look Out Circular kab jari kiya jata hai) को बल का उपयोग नहीं किया जा सकता है। इस मामले में आरोपी पर घोटाले का कोई आरोप लगाया जा सकता है या कोई आपराधिक मामला बनता है। 

हाईकोर्ट ने यह निर्णय सुनाया 

हाईकोर्ट ने मामले को देखते हुए निर्णय दिया कि बैंकों को सिर्फ कर्ज की वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (Bank Loan Defalter ke Khilaf Look Out Circular) जारी नहीं करना चाहिए अगर पैसों की हेराफेरी या धोखाधड़ी का मामला नहीं है। फैसले के साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ता कंपनी के पूर्व निदेशक के खिलाफ जारी किया गया लुक आउट सर्कुलर भी रद कर दिया है।