Loan कब बन जाता है NPA, कर्ज लेने वालों पर क्या पड़ता है असर, जानिए जरूरी बात
What is NPA : लोन लेने वाले को लोन चुकाने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है। लेकिन बैंक रिमाइंडर और नोटिस भेजता है अगर लोन लेने वाला व्यक्ति फिर भी कर्ज नहीं चुका पाता है। बैंक लोन को एनपीए घोषित किया जाता है अगर 90 दिनों, यानी तीन महीने तक भुगतान नहीं किया जाता है। बैंकों का एनपीए बढ़ना अच्छा नहीं माना जाता। साथ ही एनपीए कर्ज लेने वाले को भी कठिनाई देता है।
The Chopal : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, बैंक लोन की किस्त 90 दिनों तक, यानी तीन महीने तक नहीं चुकाई जाती है, तो वह लोन एनपीए घोषित किया जाता है। अन्य वित्तीय संस्थाओं में यह अवधि 120 दिन की है। उसे बैंक फंसा हुआ कर्ज मानते हैं। बैंकों का एनपीए बढ़ना अच्छा नहीं माना जाता। साथ ही एनपीए कर्ज लेने वाले को भी कठिनाई देता है। जानिए किस तरह एनपीए लोन लेने वाले पर प्रभाव डालता है!
सिबिल की रेटिंग खराब है
ऋणी की सिबिल रेटिंग गिर जाती है अगर वह लगातार तीन महीने तक बैंक की किस्त नहीं चुका पाता है और उसके लोन को एनपीए घोषित कर दिया जाता है। कर्ज लेने के लिए सिबिल रेटिंग अच्छी होनी चाहिए। कस्टमर्स को आगे किसी भी बैंक से लोन लेना मुश्किल होगा अगर सिबिल रेटिंग खराब हो जाएगी। आपको किसी भी तरह का लोन मिलने पर भी बहुत ज् यादा ब्याज दरें चुकानी पड़ सकती हैं।
एनपीए तीन प्रकार के हैं
जब भी एनपीए की चर्चा होती है, लोगों को लगता है कि बैंक की धनराशि डूब गई है। पर ऐसा नहीं है। बैंक को एनपीए घोषित करने पर खाते को तीन वर्गों में विभाजित करना होगा। सबस्टैंडर्ड, डाउटफुल और लॉस असेट्स डाउटफुल असेट्स एक साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स की श्रेणी में रहते हैं। लोन वापस नहीं मिलने पर उसे "लॉस असेट्स" कहा जाता है।
नीलामी आखिरी विकल्प है
लोन लेने वाले को लोन चुकाने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है। लेकिन बैंक रिमाइंडर और नोटिस भेजता है अगर लोन लेने वाला व्यक्ति फिर भी कर्ज नहीं चुका पाता है। इसके बाद भी, अगर ऋण लेने वाला व्यक्ति लोन का भुगतान नहीं करता, बैंक अपनी संपत्ति को अधिग्रहण करता है और फिर इसकी नीलामी करता है। बैंक ने यानी लोन चुकाने के लिए कई अवसर प्रदान किए हैं, लेकिन भुगतान नहीं करने पर संपत्ति की नीलामी करके लोन की रकम की भरपाई की जाती है।