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Chanakya Niti: दोपहर में सोने वाले हो जाए सावधान, आचार्य चाणक्य के अनुसार होते है 4 बड़े नुकसान

Chanakya Niti : स्वास्थ्य के बारे में आचार्य चाणक्य ने बहुत कुछ कहा है। उन्होंने दिन में सोने के नुकसान भी बताए हैं। यदि आप भी दिन में झपकी लेना पसंद करते हैं, तो गुरु की बातों को ध्यान में रखें।

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Chanakya Niti: दोपहर में सोने वाले हो जाए सावधान, आचार्य चाणक्य के अनुसार होते है 4 बड़े नुकसान

The Chopal : आचार्य चाणक्य भारत के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में से एक हैं। स्वास्थ्य के बारे में आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां दी हैं। उन्होंने जीवन के हर हिस्से पर अपने विचार दिए और इतनी सरल और स्पष्ट भाषा में बताया कि उनकी बातें आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जितना उस समय में थीं। आचार्य ने अपनी नीतियों में सेहत से भी कई बातें बताईं। उन्होंने दिन में सोने के नुकसान पर भी चर्चा की है। आचार्य चाणक्य ने कहा कि दोपहर में झपकी लेना अच्छा नहीं है। अपनी नीति में उन्होंने इसके कई बड़े नुकसानों का उल्लेख किया है। आचार्य चाणक्य के अनुसार आज हम आपको दिन में सोने के क्या बुरे परिणाम होते हैं बताने वाले हैं।

होती है काम की कमी

चाणक्य ने कहा कि जो लोग दोपहर में सोते हैं, वे दूसरों से कम करते हैं। ऐसे में उनके काम की हानि होती है और समय बर्बाद करने के अलावा कुछ नहीं मिलता। ऐसे लोगों को धन भी खोना पड़ सकता है। आचार्य ने कहा कि केवल बीमार व्यक्ति, गर्भवती महिला या छोटा बच्चा दिन में सो सकता है। यदि आप एक स्वस्थ व्यक्ति हैं, तो जीवन के हर एक पल का उपयोग करें, उसे व्यर्थ नहीं जाया जाना चाहिए।

बीमारियों का खतरा बढ़ा

आचार्य चाणक्य ने कहा कि दोपहर में सोने से भी सेहत बुरी होती है। दोपहर के समय सोने वालों को अपच और गैस एसिडिटी हो सकती है। भी, डॉक्टरों का मानना है कि दोपहर को सोना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। डॉक्टर ने कहा कि दोपहर को 10 से 15 मिनट के लिए पावर नैप लेना ठीक है, लेकिन 2 से 3 घंटे की नींद लेने वालों की सेहत खराब हो सकती है। दोपहर की नींद से ना सिर्फ पेट में दर्द होता है, बल्कि रात की नींद भी खराब होती है।

कम उम्र 

महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने कहा कि दोपहर में सोने से भी आयु कम होती है। चाणक्य ने एक श्लोक में कहा है, "आयुःक्षयी दिवा निद्रा"। इस श्लोक का अर्थ है कि दिन में सोने से आयु कम होती है। आचार्य चाणक्य का मत है कि हर व्यक्ति की सांसे भगवान ने गिन दी हैं और सोते समय लोगों की सांसे तेज होती हैं। यही कारण है कि जब कोई व्यक्ति दोपहर में सोता है, उसकी सांसों की गिनती कम होने लगती है, जिससे उसकी आयु कम हो जाती है।

शरीर में कम ऊर्जा

चाणक्य ने कहा कि दोपहर में सोने से शरीर की ऊर्जा भी कम होती है। आचार्य का विचार है कि दोपहर को सोने से व्यक्ति थक जाता है और उसके शरीर में ऊर्जा कम हो जाती है। ऐसे लोगों को किसी भी काम में दिलचस्पी नहीं होती, जिससे धीरे-धीरे उनकी प्रगति भी प्रभावित होती है। चाणक्य ने कहा कि दोपहर में सोने वाले व्यक्ति में आत्म अनुशासन की भावना कम होने लगती है और डिसिप्लिन की कमी कार्य और जिम्मेदारियों पर सीधा असर डालता है।