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उर्वरक खाद की कीमतों में आया उछाल, किसानों के लिए अब खेती पड़ेगी महंगी

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There has been a jump in the prices of fertilizers

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (War Continues Between Russia And Ukraine ) के चलते अब फ़र्टिलाइज़र की वैश्विक सप्लाई बाधित होती जा रही है, जिस वजह से खाद की कमी होने बढ़ रही है, साथ ही खाद की कीमतों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है.

रूस पूरी दुनिया में फ़र्टिलाइज़र (Fertilizer) का सबसे बड़ा सप्लायर होने के कारण भारत सहित कईं अन्य देशों में फसलों के लिए फ़र्टिलाइज़र की सप्लाई की जाती है, लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब भारत के लिए काफी महंगा पड़ सकता है.

जी हाँ, इस युद्ध की वजह से भारत की अर्थवयवस्था पर काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जिसका खामियाजा अब किसानों को भी भुगतना पड़ेगा. किसानों के लिए अब खाद के लिए काफी मुश्किलों का सामान करना पड़ सकता है.

जिस तरह कच्चे तेल की कीमतों के चलते पेट्रोल डीजल में महंगाई का खतरा (Danger Of Inflation In Petrol Diesel) बढ़ रहा है, साथ ही रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (War Continues Between Russia And Ukraine ) के चलते अब फ़र्टिलाइज़र की वैश्विक सप्लाई बाधित होती जा रही है, जिस वजह से खाद की कमी होने का अनुमान भी बढ़ रही है. बता दें कि  खाद की कीमतों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है, इसलिए अब किसानों को भी फसलों के उत्पादन के लिए काफी मुश्किलों का समाना करना पड़ सकता है.

 खाद की कीमतों में आई उछाल (Fertilizer Prices Jump)

खाद की वैश्विक सप्लाई बाधित होने की वजह से खाद की कीमतों में 10 प्रतिशत वृद्धि हुई है. जिस वजह से अब किसानों को खाद की खरीद के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

भारत में उर्वरक आयात पर निर्भर  

आपकी जानकरी के लिए बता दें कि भारत अपनी उर्वरक जरूरतों को पूरा करने के लिए दूर देशों से आयात पर निर्भर करता है. देश में यूरिया की खपत को पूरा करने के लिए दूर देशों से आयात होता है. साल 2018-19 और 2020-21 के बीच, कुल उर्वरक आयात 188.4 लाख टन से लगभग 8 प्रतिशत बढ़कर लगभग 203.3 लाख टन हो चुका है.

खाद है फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण (Manure Is Very Important For Crops)

फसलों के अच्छे उत्पादन और गुणवत्ता के लिए खाद अहम भूमिका निभाता है. खाद फसलों को आवश्यक तत्व प्रदान भी करता है. इसके साथ ही पौधों में अच्छे विकास के लिए खाद के इस्तेमाल से ना सिर्फ पौधों की गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि मिटटी की उर्वरक क्षमता भी मजबूत होती है.

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