Cotton: कपास, ग्वार समेत इन फसलों में फंगस बढ़ा रही किसानों की चिंता
Haryana News : हरियाणा में बड़े स्तर पर कपास, बाजरा और ग्वार की खेती की जाती है। किसानों की फसलों में मौसम गतिविधियों और रोगों की वजह से दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है। बता दे की गवार, कपास और बाजार की फसलों में फंगस और जड़ गलन रोग तेजी से फैल रहा है।
Rewari News in Hindi : हरियाणा की रेवाड़ी जिले में बड़े स्तर पर बाजार, कपास और गवार की बुवाई की जाती है। किसानों पर उस समय दोहरी मार पड़ती है जब फसलों में कोई रोग लग जाता है। बता दे की बाजार, कपास और ग्वार की फसल में फंगस और जड़ गलन रोग फैल रहे हैं। इससे किसान और ज्यादा चिंतित नजर आ रहे हैं। मेहनत के की गई खेती रोग लगने से खराब हो रही हैं। किसानों को एक सप्ताह में दो बार कीटनाशक डालने के बाद भी दोहरा नुकसान होता है।
अधिकारियों की सलाह पर करे दवाई की खरीददारी
वर्तमान में जिले में लगभग 72 हजार हेक्टेयर बाजरा, 7 हजार हेक्टेयर कपास और 200 हेक्टेयर ग्वार की खेती की जा रही है। ग्वार के पत्ते नमी के अधिकता से काले पड़ने लगे हैं। कृषि अधिकारी ने कहा कि फंगस की रोकथाम के लिए किसी भी स्प्रे को तुरंत लागू करना चाहिए। कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह पर बाजार, ग्वार और कपास फसलों में कीटों और फंगस की बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए दवाई खरीदना आवश्यक है। किसान अपने खेतों में गोबर की तैयार खाद अवश्य डालें।
सितंबर में कीट प्रकोप
खंड कृषि अधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि सितंबर में कपास, ग्वार और बाजरा के पौधों में कीटों का सबसे अधिक प्रकोप होना आम है। किसान इससे भयभीत नहीं होना चाहिए; इसके बजाय, खाद बीज केंद्र से इसकी दवाएं लाकर उनका सावधानी से प्रयोग करने का प्रयास करें। कपास में बिना सिफारिश किए गए कीटनाशकों के मिश्रण या अति जहरीले कीटनाशक का प्रयोग न करें। कपास फसल में रस चूसने वाले कीटों की निगरानी करने के लिए हर सप्ताह सफेद मक्खी, हरा तेला और थ्रिप्स को 20 पौधों की तीन पत्तियों पर देखें।