Cumin Farming: जीरा फसल को नुकसान पहुंचा रहा ये रोग, चिंता में किसान
Jalore Cumin Cultivation : राजस्थान के थार मरुस्थल में जीरे की खेती बड़े पेमाने पर की जाती है। यह यह जमीन कठोर जलवायु के बीच भी बेहतर उत्पादन देती है। यहा पर जीरा एक प्रमुख फसल जीरा है। यह प्रदेश के जालोर जिले को वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। फिलहाल यहा जीरा की फसल में एक रोग किसानों के लिए चुनौती बना हुआ है। जानिए रोग से फसल को कैसे बचाए।

Solution To Soil Diseases : थार मरुस्थल की कठोर जलवायु के बीच भी यहां की उपजाऊ धरती कई अनमोल फसलें देती है। इन्हीं में से एक प्रमुख फसल जीरा है, जो जालोर जिले को वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जीरा हर भारतीय रसोई का हिस्सा है, चाहे वह भोजन में तड़का लगाने के लिए हो या किसी व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के लिए। मसालों की दुनिया में जीरे की विशेष मांग है, क्योंकि इसमें अनेकों औषधीय गुण भी होते हैं।
जालोर के किसान ने बताया कि जीरे की खेती अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में हो सकती है। रेतीली मिट्टी से लेकर चिकनी और दोमट मिट्टी, विशेषकर कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी, जीरे के लिए अधिक उपयुक्त होती है।
उन्होंने बताया कि जीरा ठंडी जलवायु में उगने वाली फसल है, जिसकी बुवाई नवंबर के तीसरे सप्ताह से दिसंबर के पहले सप्ताह तक की जाती है। फसल तैयार होने पर, जब इसके बीज और पौधे भूरे रंग के हो जाते हैं, तो इसकी कटाई की जाती है।
इसके बाद पौधों को सुखाकर थ्रेसर से मंढाई कर बीज अलग किए जाते हैं। बीजों को अच्छे से सुखाकर साफ बोरों में सुरक्षित किया जाता है। कृषि विशेषज्ञ सहायक ने कहा कि जीरा ना केवल जालौर की पहचान है, बल्कि यह किसानों की आय का एक प्रमुख स्रोत भी है।
कृषि विशेषज्ञ सहायक ने कहा कि जीरा ना केवल जालौर की पहचान है, बल्कि यह किसानों की आय का एक प्रमुख स्रोत भी है। जीरे की फसल में तीन प्रमुख रोग पाए जाते हैं। जिसमें छाचा रोग, झुलसा रोग और उखटा या विल्ट रोग शामिल है। ये सभी रोग फसल के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकते हैं।
इन रोगों से बचाव के लिए खेत में प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की खाद डालें। खेत की सफाई का विशेष ध्यान रखें और खरपतवार हटाते रहें। गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें। इन रोगों से बचाव के लिए खेत में प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की खाद डालें। खेत की सफाई का विशेष ध्यान रखें और खरपतवार हटाते रहें। गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें।
जैविक खेती के जरिए आप 100 किलो सड़े हुए गोबर में 1 किलो ट्राइकोडर्मा मिलाएं और इसे छांव में 10-15 दिन तक रखें। इसके ऊपर जो हरी परत बनती है, वह फसल के रोगों को नियंत्रित करती है। इसका खेत में छिड़काव करने से मिट्टी और बीज दोनों सुरक्षित रहते हैं। एक हेक्टेयर में 30-35 हजार रुपये का खर्च आता है। अगर जीरे के दाने का भाव 100 रुपये प्रति किलो हो, तो 7-8 क्विंटल की उपज से 40-45 हजार रुपये का शुद्ध लाभ मिलता है।
इसका खेत में छिड़काव करने से मिट्टी और बीज दोनों सुरक्षित रहते हैं। एक हेक्टेयर में 30-35 हजार रुपये का खर्च आता है। अगर जीरे के दाने का भाव 100 रुपये प्रति किलो हो, तो 7-8 क्विंटल की उपज से 40-45 हजार रुपये का शुद्ध लाभ मिलता है।