मूंग में सफेद मक्खी से फसल चौपट होने का डर, किसानों को कृषि विशेषज्ञों ने दी बचाव की ये सलाह
White Fly Pests :मूंग दलहनी फसलों में अपना अहम स्थान रखता है। इस वर्ष खरीफ सीजन में दलहन फसलों की बंपर बिजाई की गई है। इस साल करीबन 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा मूंग की बुवाई का अनुमान लगाया जा रहा है। परंतु मानसूनी सीजन में मूंग की फसल में बीमारियां किसानों को काफी परेशान कर रही है। इन बीमारियों के चपेट में आने से फसल खराब होने का खतराअधिक बढ़ जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इन बीमारियों से निपटने के लिए एक्सपर्ट की राय के बारे में।
Moong Crop Tips : इस बार मई जून में कम बरसात होने के कारण दलहनी फसलों की बुवाई अत्यधिक की गई है। क्योंकि पानी की कमी की वजह से किसान धान की बुवाई नहीं कर पाए थे। बल्कि अब जुलाई अगस्त महीने में अत्यधिक बारिश होने की वजह से मूंग की फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप किसानों को काफी सता रहा है। इस मक्खी की वजह से मूंग में फंगीसाइड अत्यधिक बढ़ रहा है। अगर समय पर इस रोग की रोकथाम नहीं की जाए तो उत्पादन पर गहरा असर पड़ता है। किसने की परेशानी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग में बचाव के लिए तीन कीटनाशकों के इस्तेमाल की सलाह दी है।
इस वर्ष बंपर बजाई
केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक इस वर्ष दलन फसलों की काफी बिजाई की गई है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार मूंग की फसल का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में 3 लाख ज्यादा दर्ज किया गया है। देशभर में 33.24 लाख हेक्टेयर में मूंग की बिजाई हुई है,हालांकि पिछले वर्ष 30.27 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था। वहीं अन्य दलहन फसलों का कुल क्षेत्रफल करीबन 120.8 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जो कि पिछले साल 113.69 हेक्टेयर रहा था।
रोगों का घर है सफेद मक्खी
मानसूनी सीजन के चलते खेतों में अधिक पानी भरने की वजह से मूंग की फसल में सफेद मक्खी के असर से किसान काफी तंग आ गए है। यह मक्खी फसल में फंगीसाइड को अधिक फैलती है। इसकी वजह से पौधे में पीलापन नजर आने लगता है तथा उसका विकास रुक जाता है। इस वजह से उत्पादन में काफी गिरावट बढ़ जाती है। इसलिए किसान इसका रोकथाम समय से कर ले।
एक्सपर्ट के अनुसार ये तीन पेस्टिसाइड करें प्रयोग
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार फसल की बिजाई करते समय रोग प्रतिरोधी किस्म का चुनाव करना चाहिए जिसे फसलों में रोग आने की संभावना कम रहती है। परंतु यह समय तो निकल चुका और फसल बढ़ाने की स्थिति में है। ऐसे में किसान रोग रोकथाम के लिए सायपरमेथीन, डेल्टाथ्रीन तथा डायमिथोएट का मानक पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए। किसान ध्यान में रखें इन तीनों दवाइयां में से कोई एक का ही इस्तेमाल फसल में करें।