बारिश से फसलों को मिली संजीवनी, किसान करें ये काम मिलेगी तगड़ी पैदावार
Agriculture Tips : सागर समेत पूरे बुंदलेखंड में बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यह बारिश रबी फसलों के लिए संजीवनी से कम नहीं। ऐसे में किसान एक्सपर्ट की ये सलाह मान लें तो उत्पादन बंपर हो जाएगा। जानें सब...

Rabi Crop Rain Tips : रबी सीजन की खेती के बीच पूरे बुंदेलखंड में मौसम का मिजाज बदल गया। इस सीजन में पहली बार सागर, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, निवाड़ी में बारिश हुई। सागर की बात करें तो यहां 16 घंटे के दौरान 35.8 मिलीमीटर यानी डेढ़ इंच बारिश दर्ज की गई है। साथ ही 38 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। इससे पहले साल 1986 में दिसंबर महीने की 11 तारीख को 73.9 मिलीमीटर मावठा गिरा था। वहीं, बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए हैं और यूरिया की डिमांड बढ़ गई है।
बुंदेलखंड किसानों को बड़ी राहत
वहीं, कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एक-दो दिन में मौसम साफ होते ही कड़ाके की ठंड पड़ेगी। फसलों के लिए यह माहोट अमृत के समान है। क्योंकि, बुंदेलखंड कई दशकों से प्यासा है। दिसंबर, जनवरी का महीना आते ही नदी कुएं तालाब के कंठ सूख जाते थे, जिससे फसलों की सिंचाई बहुत मुश्किल से हो पाती थी। ऐसे में जो बारिश हुई है, वह फसलों के लिए संजीवनी के जैसी है। इससे किसानों को बहुत राहत मिली है।
सोने पर सुहागा वाली बात
हालांकि, केवल बारिश से ही फसलों के लिए सब कुछ नहीं होता। बंपर उत्पादन लेने के लिए अगर किसान उर्वरकों का छिड़काव कर दें तो सोने पर सुहागा हो सकता है। ऐसे में खेतों में खड़ी फसलें लहलहाने लगेंगी, गेहूं की बालियां अनाज से भर जाएंगी, आलू कंद मिट्टी में अच्छे उगेंगे, चना मसूर में लगने वाले रोगों से बचाव होगा, अन्य सब्जियां भी अच्छा उत्पादन देंगी। इसके लिए कृषि वैज्ञानिक की कुछ टिप्स को नोट कर लें।
इन तीन बातों का रखें ध्यान
1. सागर कृषि विज्ञान केंद्र प्रधान वैज्ञानिक डॉ। केएस यादव ने बताया, सब्जियों की फसलों में किसानों को निराई-गुड़ाई करके खरपतवार हटा देनी चाहिए। पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़कर मेड़ बना देना चाहिए।
2. मौसम साफ होते ही जिन किसानों का गेहूं 20 से 25 दिन का हो गया, वहां गेहूं में एक तिहाई यूरिया डालना चाहिए। इसी तरह जिनकी फसल 40 से 45 दिन की हो गई, उन्हें भी यूरिया डालनी होगी या नैनो यूरिया के रूप में स्प्रे कर सकते हैं।
3. चना, मसूर, अरहर अन्य दलहनी फसलों में मौसम साफ होने पर कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है, इसलिए इसका नियंत्रण करने के लिए प्रारंभिक स्टेज पर नीम ऑयल 5 ml प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं। अगर ज्यादा प्रकोप हुआ तो रासायनिक दवा का प्रयोग भी करें।