सरसों तेल की कीमतों में तगड़ा उछाल, किसानों के लिए खुला कमाई का अवसर
हजारीबाग के किसानों को सरसों तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी काफी उत्साहित कर रही है। जिससे किसानों की आर्थिक स्तिथि मजबूत हो रही है। बाजार में बढ़ रही तेलों की मांग से किसानों को फायदा मिल रहा है।

The Chopal, Mustard Cultivation : भारत सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात टैक्स बढ़ाने के बाद सरसों तेल की कीमतें प्रति लीटर 15 से 20 रुपये तक बढ़ी हैं। इस बढ़ती मांग के चलते हजारीबाग के ग्रामीण इलाकों में किसान सरसों की खेती की ओर रुझान दिखा रहे हैं। हजारीबाग जिले में किसान आमतौर पर मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर के बीच सरसों की खेती करते हैं।
लेकिन हजारीबाग के अधिकतर किसान छोटे-छोटे स्तर पर सरसों की खेती करते हैं, इसका मुख्य कारण कम खेती योग्य जमीन और मुनाफे में भारी नुकसान है। परंतु वैज्ञानिक खेती करने पर सरसों से अधिक पैसा कमाया जा सकता है।
वहीं हजारीबाग के गोरिया करमा में आईसीआर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर.के. सिंह बताते है कि यहां के किसानों को सरसों की खेती से फायदा मिलने का अनुमान है। हाल ही में सरसों की कीमतों में भारी तेजी देखी जा सकती है, जिससे किसानों को ज्यादा पैसा मिलेगा।
उनका मानना था कि किसानों को बलुई या दोमट मिट्टी की खेती करनी चाहिए। खेत की जुताई से पहले उसमें गोबर खाद डालना जरूरी होता है। 15 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान सरसों की खेती के लिए सही माना जाता है।
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि पूसा या RH बीज यहां की जलवायु के लिए सबसे सही हैं। प्रति एकड़ भूमि में छह किलो बीज सही माना जाता है। समय-समय पर सिंचाई और निराई की जरूरत पड़ती है। सरसों के पौधे लगभग 70 दिनों में फल देने लगते हैं और 100 से 115 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।