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सरसों ये किस्में देगी जबरदस्त उत्पादन, अन्य किस्मों से मिलेगा तगड़ा पैदावार

भारत में तिलहनी की सबसे बड़ी फसल राई-सरसों है। तिलहनी फसलें देश की कृषि अर्थव्यवस्था में दूसरे स्थान पर हैं। इसी तरह, इनका उत्पादन बढ़ाना लगातार प्रयत्न किया जाता है।  
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सरसों ये किस्में देगी जबरदस्त उत्पादन, अन्य किस्मों से मिलेगा तगड़ा पैदावार 

The Chopal, Mustard Top Variety : किसानों को जल्द ही अधिक सरसों उत्पादन और अधिक तेल देने वाली किस् मों के बीज मिलने वाले हैं। इन किस् मों से 7.81 प्रतिशत अधिक उत्पादन होगा

कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के तिलहन अनुभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. महक सिंह ने राई सरसों की नई किस् मों और उनके महत्व के बारे में बताया है।

भारत, डॉ. महक सिंह ने बताया, ग्लोबल लेवल पर सरसों उत्पादन में तीसरे स्थान पर है, चीन और कनाडा के बाद। इसके अलावा, सरसों तेल के निर्यात में भारत सातवें स्थान पर है। 

अब तक, कानपुर का चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) वरुणा, वैभव, रोहिणी, माया, कांति, वरदान, आशीर्वाद और बसंती जैसे कई प्रसिद्ध सरसों को विकसित कर चुका है। पीतांबरी पीली सरसों का एक प्रकार है।

राई की आजाद महक और सरसों की आजाद चेतना, गोवर्धन, सीएसए द्वारा विकसित की गई नई जातियां हैं। अर्द्ध सूखे में बुवाई के लिए वरुणा और वैभव जैसे किस्में अच्छी हैं। उन्हें अक्टूबर में बुवाई करना सही समय है; अगर कोई देरी होती है, तो 1 नवंबर से 25 नवंबर तक बुवाई की जा सकती है।

CSSA तैयार राई-सरसों की किस्में देश भर में उगाई जाती हैं। Varuna species को सिंचित और असिंचित दोनों स्थानों पर उगाया जा सकता है. यह बदलती हुई जलवायु में तापक्रम के हिसाब से ढल सकता है। अन्य प्रजातियों की तुलना में इसमें बीमारी का खतरा कम है। इसका दाना मोटा है और इसमें 39% से 41.8% तक तेल है। 

डॉ. महक सिंह कहते हैं कि सरसों का तेल रक्त निर्माण में मदद करता है। यह हृदय, डायबिटीज नियंत्रण, कैंसर प्रतिरोधी, जीवाणु फफूंदी प्रतिरोधी, जोड़ों के दर्द और गठिया का इलाज करता है।