कम पानी वाली गेहूं किस्मों की ओर बढ़ रहा किसानों का रुझान, कृषि मेले में बीजों की जमकर हुई खरीदारी
Wheat Varieties For Rabi :देश में थोड़े ही दिन बाद रबी सीजन की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में किसान गेहूं, जो, सरसों, चना, मेथी, मसूर, बरसीम, जई और मक्का की बिजाई करेंगे। इस तरह सबसे पहले किसानों का मुख्य लक्ष्य सही बीज को चुनना। आमतौर पर गेहूं की खेती रबी सीजन की मुख्य फसल होती है। इसमें कई तरह की किस्में पाई जाती है। किसान कम पानी वाली गेहूं की किस्म को खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं।

Rabi Crops : आगामी रबी सीजन में किसान गेहूं की बुवाई के लिए उन्नत किस्म की ओर रुख कर रहे हैं। गेहूं की बुवाई आमतौर पर अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से नवंबर तक की जाती है। विशेष परिस्थितियों में दिसंबर माह में भी गेहूं की बुवाई की जा सकती है। किसान कपास के खेतों में नवंबर और दिसंबर में भी गेहूं की बुवाई करते हैं। अच्छी पैदावार के लिए दोमट और रेतीली दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है। गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए सही बीज और समय का चयन जरूरी है।
किसानों को नई कृषि तकनीक की जानकारी दी
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को उन्नत किस्मों की खेती दिखाई और नई कृषि तकनीक की जानकारी भी दी गई। किसानों को फसल अवशेषण प्रबधन के बारे में जागरूक किया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि वर्तमान समय में हमें फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर जीवाश्म की मात्रा बढ़ाने, फसल विधि कारण अपने के साथ-साथ जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान देने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से निपटने के लिए कम पानी में उगाई जाने वाली किस्मों के साथ-साथ फलदार पौधों को भी बढ़ाने की जरूरत है। इससे किसानों को अत्यधिक मुनाफा होगा।
फसल अवशोषण प्रबंधन पर किसानो की काफी रुचि
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि विभिन्न फसलों की कटाई के बाद बचे हुए डंठल, बचे हुए पुआल, भूसा, तना, जमीन पर पड़ी हुई पत्तियों आदि को फसल अवशेषण कहा जाता है। एक दशक में खेती करने के लिए मशीनों का प्रयोग बढ़ा है। साथ ही खेती और मजदूरों की कमी की वजह से भी यह स्थिति बन गई है। ऐसे में फसल की कटाई के लिए कंबाइन हार्वेस्टर का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ा है। जिसकी वजह से भारी मात्रा में फसल अवशेष खेत में पड़ा रह जाता है। जिसका प्रबंधन किसानों के लिए चुनौती बना हुआ है।
दरअसल किसान अपनी सहूलियत के लिए इसे जला देते हैं। आलम की फसल अवशेष को जलाने से खेत की मिट्टी में जीवाश्म की कमी आती है। जिसका आगामी फसल पर काफी गहरा असर पड़ता है। मिट्टी में जीवाश्म की कमी की वजह से फसल कमजोर रहती है और उत्पादन में गिरावट आ जाती है। के साथ ही फसल अवशेषण जलाने पर पर्यावरण भी प्रदूषण होता है। यह मनुष्य और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए कितना घातक है इसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है।
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने ऑनलाइन पंजीकरण शुरू कर दिया है। किसान पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। संस्थान पहले आओ पहले पाओ के आधार पर तीन हजार क्विंटल बीज उपलब्ध कराएगा। हर साल किसानों को उन्नत किस्म के बीज दिए जाते हैं। वैज्ञानिकों की सालों की मेहनत के बाद बीजों को रोग प्रतिरोधक बनाकर बेहतर पैदावार के लिए तैयार किया जाता है। कोई भी किसान जो बीज लेना चाहता है, वह संस्थान के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकता है।
बीज की किस्में उपलब्ध
भारतीय गेहूं एवं अनाज अनुसंधान संस्थान, करनाल के निदेशक डॉ. रतन तिवारी ने बताया कि संस्थान ने गेहूं की नई किस्म डब्ल्यूबीआर-316 जारी की है। यह यूपी, बिहार और हरियाणा के लिए उपयुक्त है। इससे अच्छी पैदावार होती है। संस्थान में इसके बीज भी उपलब्ध रहेंगे। डब्ल्यूबीआर 187, 372, 327, 332, 303, 377 और 359 के बीज उपलब्ध हैं। गेहूं की सभी किस्में रोग प्रतिरोधक हैं और अधिकतम उपज देती हैं। संस्थान की ओर से किसानों को कुल तीन हजार क्विंटल बीज दिए जाएंगे।
गेहूं की बुवाई से पहले खेत को सावधानी से उपचारित कर लेना चाहिए। गेहूं की बुवाई के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करना जरूरी है। सही तापमान में बीजों का अंकुरण अच्छा होता है। गेहूं की बुवाई के लिए किसान हैप्पी सीडर और सुपर सीडर जैसे आधुनिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन कृषि यंत्रों की मदद से बीज सही मात्रा में सही गहराई पर निकलते हैं, जिससे अंकुरण सही रहता है।
मेले में बीज की हुई बंपर खरीदारी
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में दो दृश्य कृषि मेला में हरियाणा राजस्थान पंजाब उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के 36,600 किसान पहुंचे। मेले में रबी फसलों के बीजों के लिए किसानों में भारी उत्साह देखा गया। किसानों ने गेहूं जो सरसों चना मेथी मशहूर बरसीम जई और मक्का मक्का की उन्नत किस्म के करीबन 2 करोड़ 39 लाख रुपए के बीज खरीदे। जिसमें से सबसे ज्यादा खरीदारी गेहूं की कम पानी वाली उन्नत किस्म के बीज की हुई।