किसानों की बल्ले-बल्ले करवा देगी ऐरोमेटिक फसलों की खेती, सरकार से मिलेगी मदद
Aromatic Crops Farming Tips: बदलते समय के साथ किसान अब पारंपरिक खेती की जगह औषधीय पौधों की खेती की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि इसमें कम लागत में अधिक मुनाफा मिलने की संभावना है। औषधीय उत्पादों की बाजार में लगातार बढ़ती मांग किसानों के लिए नए अवसर पैदा कर रही है।

Mentha Farming Tips: किसानों ने पारंपरिक फसलों में कम होते मुनाफे को देखते हुए कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की खेती की ओर रुख किया है। औषधीय उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए, बहुत से किसान औषधीय पौधों की खेती करने लगे हैं। सरकार ने भी किसानों का साथ देने के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है। यही कारण है कि बिहार सरकार के कृषि विभाग ने ऐरोमेटिक फसलों का उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है।
मदद मिलेगी
केंद्रीय औषधीय पौधा अनुसंधान संस्थान के अनुसार, मेंथा (Mentha) और खस (Khas) को बिहार में बनाया जाना सबसे अच्छा है। राज्य में ऐरोमेटिक फसलों की खेती का रकबा कृषि विभाग द्वारा बढ़ाया जाएगा। इसके लिए एक कार्ययोजना बनाई जा रही है। मुख्य रूप से मेंथा और खस की खेती को बढ़ाना होगा। इस बार औषधीय फसलों की खेती पर सब्सिडी देने का विचार है।
इन जिलों में अभी खेती की जा रही है
बिहार में अभी पांच हजार हेक्टेयर खस, सौ से 150 हेक्टेयर तुलसी, पांच हजार हेक्टेयर मेंथा और सौ हेक्टेयर लेमनग्रास उगाए जा रहे हैं। दरभंगा, सीवान, गोपालगंज, छपरा, सारण, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर क्षेत्रों में मेंथा की खेती की जाती है। वहीं खस सहरसा, रोहतास, औरंगाबाद, कैमूर, भोजपुर, समस्तीपुर और बेगूसराय में बागवानी की जाती है।
किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट खेती करने वाली कंपनियां
औषधीय पौधा अनुसंधान केंद्र ने बताया कि बिहार में उगने वाले औषधीय और सुगंधित पौधों में अधिक खुशबू होती है। बिहार में मेंथा और खस अन्य राज्यों की अपेक्षा 7% अधिक खुशबूदार हैं। इसलिए प्रोसेसिंग कंपनियां यहां किसानों से कॉन्ट्रैक्ट खेती करती हैं।
मेंथा का उपयोग
मेंथा दर्द निवारक दवाओं, च्विंगम और टूथपेस्ट में पाया जाता है। उत्तर प्रदेश में खस और मेंथा की सबसे अधिक खेती होती है। इसके बाद बिहार में सबसे अधिक खेती होती है। बिहार में सिम क्रांति वेरायटी और कोसी वेरायटी के मेंथा और खस की खेती होती है।
1,000 रुपये प्रति लीटर मेंथा का तेल
राज्य में मेंथा की खेती में बहुत सी कंपनियां निवेश करने लगी हैं। इसलिए कृषि विभाग भी रकबा बढ़ाना चाहता है। 1,000 रुपये प्रति लीटर मेंथा का तेल बिकता है।