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Sand farming: लखपति बना देगा खेती का ये देशी तरीका, किसानों के लिए होगा फायदेमंद साबित

Sand Farming: खेती-किसानी में नई तकनीकों और स्मार्ट रणनीतियों की वजह से किसान अब कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। कई किसानों ने फसलों की पारंपरिक विधियों से हटकर आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाया है, जिससे उनका उत्पादन और लाभ दोनों बढ़ गए हैं।

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Sand farming: लखपति बना देगा खेती का ये देशी तरीका, किसानों के लिए होगा फायदेमंद साबित  

The Chopal : अब खेती के तरीके बदलने लगे हैं। किसानों ने इस प्रक्रिया में किसी भी फसल से आसानी से लाभ प्राप्त किया है।  खेती-किसानी में नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके किसान अच्छी फसल उगा रहे हैं। हालाँकि आधुनिक तकनीक के बीच पारंपरिक खेती के तरीके, कुश खेती भी किसानों को बहुत फायदा दे रही है। वर्तमान में क्षेत्र में सब्जियों की फसलों की बुआई जारी है। ऐसे समय पर मौसम बदलने के कारण किसानों को खेत में बीजों की बुआई के बाद अंकुरण करने में बहुत मुश्किल होती है। इसलिए फर्रुखाबाद के किसानों ने देसी कुश पद्धति विकसित की है।

हर साल भारी क्षति

इस तरीके से बीज को अंकुरण के दौरान आवश्यक नमी बनाए रखने के साथ-साथ बाहरी कीट और रोगों से भी बचाया जा सकता है। फसलों को समय से पहले उगाने के साथ ही अगेती फसलों का उत्पादन भी शुरू हो जाता है। कमालगंज विकासखंड क्षेत्र के भोजपुर गांव के किसान वीरपाल ने बताया कि हर वर्ष सब्जियों की फसलों को गंगा की कटरी में बड़ा नुकसान उठाना पड़ता था। इससे जिले के किसान परेशान हो गए।

बरेली से सीखा ये तरीका

किसान वीरपाल ने बताया कि वे बरेली गए थे, जहां उन्होंने कुश का अभ्यास किया था। आज उसने अपने खेतों में उसे सफलतापूर्वक लगाया है। इससे उन्हें सब्जियां उगाने में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है और दूसरी ओर फसल में बीमारी न होने से उनका खर्च कम होता है। वर्तमान में तोरई 60 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रही है, जबकि किसान लौकी की फसल पर आठ हजार रुपए खर्च करके 70 से 80 हजार रुपए की कमाई कर रहे हैं।

फसल उगाने का तरीका

किसान ने बताया कि उन्होंने खेत को समतल करके दो मीटर की दूरी पर क्यारियां बनाईं। इसके बाद, लंबाई के आकार में पतेल की सहायता से तंबू के आकार का शेड बनाकर सब्जियों के बीजों को इसके नीचे रोप देते हैं। लत्तादार फसलों और सब्जियों से कमाई करनी है तो इन्हें विपरीत मौसम में तैयार करना कठिन होगा। क्षेत्र के किसान इसी प्रकार खीरा, तोरई, तरबूज, खरबूजा, ककड़ी और लौकी को तैयार कर रहे हैं।

ऐसी जमीन का चुनाव

किसानों का कहना है कि सब्जियों की फसलों को तैयार करने के लिए नमीदार जमीन चुनना चाहिए। बाद में खेत को समतल करके उसमें जैविक खाद डालकर क्यारियां बनाकर बीज रोप दिए जाते हैं। जब फसल तैयार हो जाती है, तो उसे मंडी में बिक्री के लिए भेज देते हैं, सिंचाई भी करते रहते हैं।