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Wheat Price: आटे की कीमत होती 50 रुपये, मोदी सरकार के इस फैसले से नहीं बड़े दाम, केंद्र ने करवाई बल्ले-बल्ले

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आटे की कीमत होती 50 रुपये, मोदी सरकार के इस फैसले से नहीं बड़े दाम

THE CHOPAL - आपको बता दे की प‍िछले कई द‍िनों गेहूं और इसके आटे के मूल्य र‍िकॉर्ड लेवल पर पहुंचने के बाद अब इनमें नरमी भी देखी जा रही है। सरकार के प्रयास के चलते अब गेहूं के भाव में कमी भी आई है। आपको बता दे की रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ INDIA का अनुमान हैं।  आरएफएमएफआई के अनुसार भारत सरकार ने खुले बाजार में गेहूं बेचने के फैसले से 2 महीने में गेहूं और आटे के मूल्य अब 6-8 रुपये KG की कमी भी आई है. एसोसिएशन के मुताबिक अब फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन करीब 10.6-11 करोड़ टन रहने का अनुमान भी है। 

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मूल्यों में 600 से लेकर 800 रुपये प्रति क्‍व‍िंटल की कमी भी आई -

एक बयान के मुताबिक, यह भी मांग अब की गई क‍ि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान गेहूं आटा, मैदा और सूजी समेत गेहूं और गेहूं के उत्पादों पर निर्यात प्रत‍िबंध‍ित भी रहना चाहिए। RFMFI ने कहा कि 25 JAN को खुला बाजार बिक्री योजना शुरू करने के सरकार के फैसले के तहत अब पूरे देश में गेहूं और गेहूं उत्पादों के  मूल्यों में 600 से लेकर 800 रुपये प्रति क्‍व‍िंटल की भी कमी आई है. रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के मुताबिक, मौजूदा वक्त में आटे की कीमतें अब 2,600-3,000 रुपये प्रति क्विंटल के लगभग चल भी रही हैं, जबकि JAN.2023 के मध्य में यह कीमत करीब 3,400-3,800 रुपये प्रति क्‍व‍िंटल थी। 

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खुले बाजार में बेच रहा गेहूं -

मूल्यों को नरम करने के लिए अब केंद्र सरकार करीब 50 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेच भी रहा है। बता दे की इसमें से 45 लाख टन आटा चक्की सहित थोक उपभोक्ताओं के लिए भी है। महासंघ ने यह कहा कि आगामी सत्र के लिए गेहूं की फसल के चल रहे सर्वेक्षण के अपने प्रारंभिक निष्कर्षों के मुताबिक, गेहूं की खेती का रकबा करीब 343.23 लाख हेक्टेयर है. गर्मियों की शुरुआत के कारण महासंघ को 10.6 करोड़ टन और 11 करोड़ टन के बीच रिकॉर्ड फसल उत्पादन होने की उम्मीद भी है। इसमें यह कहा गया है कि गेहूं के मूल्यों में गिरावट के साथ इसके रिकॉर्ड उत्पादन के वजह से सरकार 340 लाख टन गेहूं खरीद के अपने लक्ष्य को पूरा करने में सफल भी होगी.

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सरकार ने समय पर हस्तक्षेप -

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के वक्त रहते किए हस्तक्षेप से न केवल गरीब, निम्‍न और मध्यम वर्ग को काफी  राहत मिली है, बल्कि ब्रेड और बिस्कुट सहित कई प्रकार के उद्योगों को भी काफी राहत भी मिली है।  कुमार के अनुसार ‘मौजूदा वक्त में थोक बिक्री बाजार में जिन राज्यों में मांग के अनुसार केंद्रीय पूल से गेहूं निकाला भी गया है, वहां गेहूं की दर घटकर अब 23-24 रुपये प्रति KG रह गई है, जबकि जिन राज्यों में गेहूं उतारे जाने की प्रक्रिया अभी चल रही है वहां भाव करीब 24-25 रुपये प्रति KG रह गया है। आपको बता दे की अगर सरकार ने वक्त रहते हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो मूल्य लगभग 40-45 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाता।