Pea farming: अगेती मटर की सितंबर में करें बुआई, त्योहारों में होती है ज्यादा मांग
Matar Ki Kheti : खेती किसानी में बहुत ऐसी सारी फसलें मौजूद है जिसकी खेती सीजन के हिसाब से की जाती है। हरी सब्जियों की मांग मौजूदा समय में बाजार में हर वक्त बनी रहती है। किसानों के लिए मटर की खेती करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है।

Farming News : खेती किसानी में बहुत ऐसी सारी फसलें मौजूद है जिसकी खेती सीजन के हिसाब से की जाती है। सितंबर और अक्टूबर महीने में मटर की अगेती बुवाई की जाती है। मटर की सीजनल खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा होती है। बाजार में पहली मटर आने का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। मटर की खेती अगर किसानों द्वारा अगेती की जाए तो ज्यादा फायदेमंद साबित होती है। त्योहारों के समय मटर की मांग बहुत ज्यादा होती हैं।
मटर देगी अच्छा उत्पादन
सितंबर महीने और अक्टूबर के पहले दो हफ्ते तक बोई गई मटर आगे चलकर किसानों को अच्छा उत्पादन देती है। बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड में छठ पर्व के अवसर पर मटर की डिमांड खूब बढ़ जाती है। किसान सीजनल खेती करके लाखों रुपए फायदा कमा सकते हैं।
खेतीबाड़ी में ऐसी कई फसलें हैं जिनकी सीजन के हिसाब से खेती की जाती हैं। आज हरी सब्जियों की बहुत मांग है। ऐसे में किसान पहले उन फसलों को बोकर लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं। जिला कृषि अधिकारी राजित राम ने कहा कि जिले में किसानों की सब्जियों की खेती में रुचि बढ़ रही है। वहीं, सितंबर में अगेती खेती करना चाहने वाले किसानों के लिए मटर एक अच्छी फसल है। जहां हरी मटर की बहुत सी उन्नत किस्में उपलब्ध हैं।
सितंबर महीने में मटर की खेती अनुकूल
बता दे की ताकि किसानों को कोई नुकसान नहीं हो, किसानों को अगेती मटर की खेती करने से पहले पूरी जानकारी होनी चाहिए। सितंबर के अंत में अगेती किस्म का मटर बोया जाता है, जो अक्टूबर के पहले दो सप्ताह तक चलता है। सितंबर अगेती मटर की खेती करने के लिए सबसे अच्छा महीना है। किसानों को अगेती मटर की खेती से अच्छा उत्पादन और कमाई हासिल करने के लिए मटर की किस्मों का चयन करने पर खास ध्यान देना चाहिए।
अगेती मटर की खेती करना चाहने वाले किसानों को नीचे बताई गई किस्मों का चयन करना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी किस्में बनाई हैं ताकि मौसम अनुकूल नहीं होने पर भी किसानों को अधिक नुकसान नहीं होना पड़े। इसलिए, अगर किसान सितंबर महीने में मटर की खेती कर रहे हैं, तो वे इन किस्मों का चयन कर अच्छे पैसे कमाने में सक्षम होंगे। जहां हरी मटर की बहुत सी उन्नत किस्में उपलब्ध हैं।
1 - अर्ली बैजरः
यह एक विदेशी मटर किस्म है। इसका बीज झुर्रीदार है। इस किस्म के पौधे छोटे होते हैं। इस किस्म की एक विशेषता यह है कि यह पहली तुड़ाई के लिए 50 से 60 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है। इसकी एक फली में पांच से छह दाने होते हैं। इस किस्म के मटर की खेती करके किसान 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हासिल कर सकते हैं।
2 - ऑर्केल मटरः
यह एक बहुत उन्नत किस्म का मटर है। इसकी उत्पत्ति यूरोप में हुई है। इस मटर का दाना मीठा है। बुवाई के बाद यह 60 से 65 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाता है। फलियां आठ से दस सेंटीमीटर की होती हैं और पांच से छह दाने होते हैं। इसकी फली का आकार एक तलवार की तरह है।
3 - पंत मटर 155:
यह अगेती मटर पंत मटर 13 और डीडीआर 28 के ब्रीडिंग से बनाया गया है। यह एक छोटी मटर किस्म है। बुवाई के 30 से 35 दिनों के बाद इसमें फूल आने लगते हैं, और 50 से 55 दिनों के बाद किसान इसकी हरी फलियों को काट सकते हैं। इस प्रकार के मटर रोग प्रतिरोधक हैं।
4 - पूसा थ्री मटरः
2013 में विकसित यह मटर की अगेती किस्म भी है। इस किस्म को उत्तरी भारत में खेतों के लिए बनाया गया है। इस किस्म से अच्छी पैदावार मिल सकती है। इसकी खेती से किसान 20 से 21 क्विंटल हरी फलियां प्रति एकड़ प्राप्त कर सकते हैं। यह तुड़ाई के लिए 50-55 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है और प्रत्येक फली में 6-7 दाने होते हैं।
5 - काशी नंदिनीः
काशी नंदिनी एक अगेती मटर प्रजाति है। यह मटर किस्म अधिक उपज देती है। इसकी खेती करके किसान 110 से 120 क्विंटल मटर प्रति हेक्टेयर उत्पादन कर सकते हैं। यह मटर बुवाई के 60-65 दिनों के अंदर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और फलिया एक बार में तोड़ने योग्य हो जाती है। इसलिए बार-बार तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती। एक फली में 7 से 9 दाने होते हैं।