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राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए खास है फरवरी का महीना,सभी पार्टियों के लिए अहम

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राजस्थान विधानसभा चुनाव
एक ओर जहां सचिन पायलट के समर्थक इस बजट को सीएम गहलोत के लिए आखिरी मौका बनाने की जोड़-तोड़ लगे हुए हैं। आप को बता दे की बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के कार्यकाल का भी इसी माह में विस्तार के आसार हैं।

THE CHOPAL(जयपुर) - राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर फरवरी महीना काफी अहम साबित होगा । आप को बता दे की इस माह प्रदेश के बजट के बाद राजस्थान की राजनीति में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा । एक ओर जहां सचिन पायलट के समर्थक इस बजट को सीएम गहलोत के लिए आखिरी मौका बनाने की जोड़-तोड़ लगे हुए हैं। आप को बता दे की बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के कार्यकाल का भी इसी माह में विस्तार के आसार हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार फरवरी माह में गर्मी की आहट के साथ ही राजनीतिक दलों में भी सियासत की गरमी काफी तेज हो जाएगी ।   

बीजेपी में राजे की सक्रियता के लिए बढ़ी सियासत - 

आप को बता दे की भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी राजनीति काफी जोर शोर के साथ चल रही हैं। BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने के कारण  अब इस बात के कयास ज्यादा लगने लगे हैं अब प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां का कार्यकाल भी बढ़ाया जाएगा और होने वाले विधानसभा चुनाव कराने के लिए पूनियां  बड़ी भूमिका भी दी जाएगी. लेकिन इस बीच राजस्थान में BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के दौरे में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की उनके साथ ही मंच पर मौजूदगी को जानकारों के अनुसार और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक उत्साहित हैं और दावा कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे एक बार फिर से पावर में आएंगी. BJP के रणनीतिकारों का यह मानना है कि प्रदेशाध्यक्ष को लेकर BJP पार्टी में इसी माह फरवरी में ही अपनी स्पष्टता पेस करगी।  

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कांग्रेस पार्टी में गहलोत वर्सेज पायलट की अनंत कथा -

आप को बता दे की कांग्रेस में सियासी भूचाल की कहानी कोई नई नहीं है. सभी को पता हैं की गहलोत vs  पायलट एपिसोड जुलाई 2020 के बाद से ही निरंतर चल ही रहा हैं। आप को बता की गहलोत और पायलट दोनों के बीच और उनके समर्थकों के बीच भी लगातार विरोधी बयानबाजी नैतिकता की सारी सीमाएं लांघ भी  चुकी है. कांग्रेस पार्टी द्वारा गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की चर्चाओं के बीच सचिन पायलट की दावेदारी काफी मजबूत हो गई थी लेकिन गहलोत ही अध्यक्ष बनने से पीछे भी हट गए थे। आप को बता दे की  पिछले साल 25 सितम्बर को इनकी तकरार के चलते हाईकमान के खिलाफ सारी अनुशासनहीनता की भी सारी सीमाएं लांघी गई थी . लेकिन बाद में  सीएम गहलोत ने दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से माफी मांग ली और सचिन पायलट को सीएम बनाने का सारा मामला वही ठंडा पड़ गया. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे देने और बाद में वापस लेने केचलते सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच काफी ज्यादा तनातनी और भी बढ़ गई.

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प्रदेश के इस बजट के बाद हो सकता है फैसला - 

आप को बता दे की कांग्रेस सत्ता-संगठन में बदलाव सबसे पहले हिमाचल-गुजरात विधानसभा चुनाव में देखा गया , उस के बाद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में आगमन होने  और फिर प्रदेश सरकार के अब बजट के चलते लगातारफैसला लंबित होता नजर आ रहा है. वही अब  राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने पार्टी से नाराज होकर इस्तीफा भी दे दिया हैं और पंजाब से सुखजिंदर सिंह रंधावा अब राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी बने हैं। अब राजनीतिक जानकारों के अनुसार माना जा रहा है कि दोनों नेताओं की लड़ाई अब आखिरकार निर्णायक मोड़ पर आ गई है. इस पूरे सियासी घटनाक्रम का अंतिम पड़ाव अब  राजस्थान का बजट ही माना जा रहा  है.

इसी माह होने वाले छत्तीसगढ़ के रायपुर अधिवेशन पर टिकी नजरें -

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक बजट के बाद पायलट खेमा विधायकों के इस्तीफा के प्रकरण को हाईकमान के सामने उठाएगा. जानकारों के मुताबिक  24 से 26 फरवरी तक छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन होगा .रायपुर अधिवेशन के बाद कांग्रेस राजस्थान पर बड़ा निर्णय कर सकती है. क्योंकि नौ महीने बाद ही राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं .


आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया भी  इसी माह जयपुर में करेंगे चिंतन -

 आप को बता दे कांग्रेस-बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी भी प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए  इसी माह एक्टिव हो गई है. आम आदमी पार्टी  ने अपनी मैंबरशिप  3 फरवरी से राजस्थान में शुरू भी कर दी है. आप को बता दे की दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जयपुर का दौरा करेंगे. इसके लिए पार्टी ने प्रदेशभर के प्रमुख नेताओं को जयपुर भी बुलाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार मनीष सिसोदिया चुनाव पर चिंतन के साथ साथ बीजेपी-कांग्रेस के कुछ ऐसे नेताओं से मुलाकात भी करेंगे, जो आप पार्टी में शामिल भी हो सकते हैं. अब तक राजस्थान में आम आदमी पार्टी की ना कोई बड़ी रैली हुई हैं। पार्टी जल्द ही चार-पांच शहरों में रोड शो कराने की रणनीति भी बना सकते हैं.

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