The Chopal

10 महीने का हुआ करता था कैलेंडर, जानिए कौन से महीने थे गायब

 

The Chopal: क्या आपने कभी सोचा कि जिन महीनों के नाम हम जानते हैं और 12 महीने सालभर में पड़ते हैं, उनके नाम कैसे पड़े. पुराने कैलेंडर में दस महीने ही होते थे. बाद में इसमें दो महीने जोड़े गए. हर महीने के नाम की अपनी कहानी है.

मार्च: यह जानकर आपको बहुत आश्चर्य होगा कि नाम रखने के इस क्रम में जनवरी पहला महीना नहीं था. प्राचीन रोमन लोग साल भर युद्ध लड़ते थे और सर्दियों में दो महीने आराम करते थे. युद्ध का क्रम फिर से मार्च में शुरू होता था. इसलिए मार्च को पहला महीना मानते हुए रोमन युद्ध के देवता मार्स के नाम पर इस महीने का नाम मार्च रखा गया.

अप्रैल: अप्रैल महीने का नाम कैसे पड़ा इसके पीछे कई किवदंतियां हैं. कहा जाता है कि लैटिन भाषा में 'दूसरे' के लिए प्रयोग किए जाने वाले शब्द के आधार पर अप्रैल का नाम रखा गया, क्योंकि वह दूसरा महिना था. साथ ही यह भी कहा जाता है 'aperire' शब्द से लिया गया है जिसका मतलब है खिलना. 

मई: इस महीने को इंग्लिश में 'मे' का महीना कहा जाता है. इस महीने का नाम रोमन देवी 'मेया' के नाम पर रखा गया था. मेया को पौधे और फसल उगाने वाली देवी माना जाता है.

जून: रोमन काल में जून का महीना शादी के लिए सबसे मुनासिब माना जाता था. इसलिए इस महीने का नाम रोमन देवी और शादियों की साक्षी माने जाने वाली 'जूनो' के नाम पर रखा गया था.

जुलाई: रोम के राजा जूलियस सीजर की कहानी लगभग सभी ने स्कूल में पढ़ी होगी. 44 ई.पू में जूलियस सीजर के नाम पर इस महीने का नाम जुलाई रखा गया. उससे पहले इस महीने को 'क्विन्टिलिस' कहा जाता था, जिसका मतलब है, 'पांचवा'.

अगस्त: राजा ऑगस्टस सीजर के नाम पर 8 ई.पू में इस महीने का नाम 'अगस्त' रखा गया. उससे पहले इस महीने को 'सेक्स्टिलिया' कहा जाता था, जिसका मतलब है 'छठा'.

सितम्बर: 'सेप्टेम्बर' महीने का नाम लैटिन भाषा के शब्द 'सेप्टम' से रखा गया, जिसका मतलब है सातवां. रोमन कैलेंडर के आधार पर यह सातवां महीना था.

अक्टूबर: लैटिन भाषा में 'ओक्टा' यानी आठ. इसलिए आठवें महीने का नाम पड़ गया अक्टूबर.

नवंबर: नोव यानी नौवां. बस, इसी आधार पर नौवां महीना कहलाया 'नवंबर'.

दिसंबर: यह रोमन कैलेंडर का दसवां और आखिरी महीना था. इसीलिए इसका नाम रखा गया 'दिसंबर'. लैटिन भाषा में डेका यानी दस होता है.

फरवरी: 690 ई.पू. में पोम्पिलियस ने सोचा कि सर्दियों के खत्म होने ऑर मार्च के शुरू होने के बीच में मनाए जाने वाले उत्सव 'फ़ब्रुआ' को पहचान मिलनी चाहिए. इसलिए उसने इस उत्सव के आधार पर उस महीने का नाम ही 'फरवरी' रख दिया.

जनवरी: साल का सबसे पहला महीना इस कैलेंडर में सबसे आखिर में जुड़ा. साल के खत्म होने और नए साल के शुरू होने के आधार पर इस महीने का नाम रखा गया जनवरी, जो जेनस नाम के भग्वआन पर आधारित था. 

Also Read: अगर बिल्ली काट जाए आपका रास्ता, तो क्या हैं इस पीछे का कारण