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Ajab Gajab : उत्तर प्रदेश के इस गांव में जमीन की पैमाइश के लिए चाहिए दो जिलों के अफसर, जानिए वजह

जब यूपी के इस गांव में दो जिलों के अधिकारी मिलते हैं, तब जमीन की पैमाइश हो सकती है। ये समस्याएं प्रशासनिक बंटवारे की गलती से पैदा हुई हैं। आपको संतकबीरनगर जिला प्रशासन से संपर्क करना होगा।

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Ajab Gajab: Officers from two districts are needed for measurement of land in this village of Uttar Pradesh, know the reason.

The Chopal : उत्तर प्रदेश का यह गांव अद्भुत है। यहां जमीन की पैमाइश करने के लिए दो जिलों के अधिकारी मिलते हैं। गांव को लगभग २६ साल पहले हुए जिले के प्रशासनिक बंटवारे की गलती ने यह नुकसान उठाना पड़ा है। थाना-पुलिस बस्ती जिले में है, लेकिन राजस्व संतकबीरनगर जिले में है। विकास और मदद-इमदाद के लिए बस्ती को जल्दी करना होगा, इसलिए खसरा-खतौनी निकालने के लिए संतकबीरनगर जिला प्रशासन से संपर्क करना होगा। 

बस्ती जिले का "भरवलिया टिकुइया गांव" दो जिलों में विभाजित है। बस्ती को जिले से निकालकर पांच सितंबर 1997 को संतकबीरनगर जिला बनाया गया। यह गांव पहले एक नगर था। लेकिन जिले के विभाजित होने के साथ टिकुइया गांव भी विभाजित हो गया। यह गांव संतकबीरनगर की सीमा से लगभग पांच किमी दूर है। लॉ एंड ऑर्डर की समस्या होने पर बस्ती के लालगंज थाने की ओर ग्रामीण रुख करेंगे, लेकिन प्रशासनिक हस्तक्षेप की जरूरत है, स्टे लेने के लिए संतकबीरनगर जाना होगा। 

अब ग्राम पंचायत भरवलिया टिकुइया के लोग धनघटा-संतकबीरनगर में विधायक चुनने के लिए मतदान करेंगे। ब्लॉक प्रमुख चुनने पर बस्ती जिले के कुदरहा ब्लॉक का बीडीसी सदस्य चुना जाएगा। सांसद चुनने के लिए आपको संतकबीरनगर की खलीलाबाद सीट पर मतदान करना होगा। प्रधान चुनना होगा तो कुदरहा ब्लॉक की ग्राम पंचायत भरवलिया टिकुइया को चुना जाएगा। लेकिन सांसद और विधायक विकास के लिए कुछ नहीं करते। इसलिए, डीएम की संस्तुति हर योजना के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक है। बस्ती के कुदरहा ब्लॉक की योजना की प्रस्तावना संतकबीरनगर के डीएम को सौंपने में कई व्यवहारिक चुनौतियां सामने आती हैं। 

संतकबीरनगर के भरवलिया टिकुइया गांव के लोगों को राशन कार्ड लेने के लिए बस्ती पूर्ति विभाग का सहारा लेना होगा। लेकिन वोटर कार्ड बनवाने के लिए संतकबीरनगर बीएलओ के पास जाना होगा। धनघटा तहसील का निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (एसडीएम) उनका वोटर कार्ड लेगा। जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाने के लिए कुदरहा ब्लॉक में आवेदन करना होगा। लेकिन समय बीत गया तो अनुमति और शपथ लेने के लिए धनघटा (संतकबीरनगर) जाना पड़ता है। अब, एक आवेदक संतकबीरनगर और बस्ती जिलों का दौरा करता है। 

यदि किसी को संतकबीरनगर के खसरा-खतौनी क्षेत्र से परिवार रजिस्टर की नकल लेनी हो तो वह कुदरहा ब्लॉक पर जाना चाहिए। ग्राम सचिव की खोज ग्राम का सेक्रेट्री बस्ती है, इसलिए वह इसके माध्यम से आवेदन करता है। यदि किसी टिकुइया नागरिक को खसरा-खतौनी चाहिए तो उसे संतकबीरनगर के धनघटा तहसील में जाना होगा। इसलिए गांव का लेखपाल धनघटा तहसील, संतकबीरनगर जिले का है। धान-गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करने पर बस्ती की साइट मिलेगी, लेकिन खतौनी सत्यापन करने के लिए संतकबीरनगर जाना होगा। 

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पेंशन के लिए बस्ती, आपदा राहत के लिए संतकबीरनगर गांव में किसी भी प्रकार का पेंशन पानी है तो बस्ती के कुदरहा जाना होगा। वृद्धा पेंशन, निराश्रित महिला पेंशन या दिव्यांग पेंशन के लिए आवेदन करने से पहले ग्राम पंचायत से प्रस्ताव पास करना पड़ता है और फिर बस्ती की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। बस्ती के अधिकारी जांच करेंगे। लेकिन अक्सर जांच एसडीएम को भेजी जाती है, जिसके लिए संतकबीरनगर जाना पड़ता है। मृतक की पुष्टि करने के लिए संतकबीरनगर जाना होगा। लेकिन आपदा के शिकार को राहत देने के लिए संतकबीरनगर के लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट चाहिए। 

भरवलिया टिकुइया गांव में 1237 लोग रहते हैं। यह बस्ती नक्शे पर राजस्व गांव है, लेकिन राजस्व विभाग संतकबीरनगर में है। गांव की जनसंख्या बस्ती में दर्ज की गई है, लेकिन संतकबीरनगर के राजस्व अभिलेख में ऐसा नहीं है। 

भरवलिया टिकुइया ग्राम पंचायत के प्रधान प्रतिनिधि राजेश यादव ने प्रधान ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल की याचिका में कहा कि गांव की जनसंख्या बस्ती और संतकबीरनगर जिले के रिकॉर्ड में नहीं है। गांव इसलिए किसी भी विकास योजना में शामिल नहीं हो पाता। ग्राम प्रधान आरती देवी ने अब मामले को लेकर लखनऊ हाईकोर्ट की बेंच में शिकायत की है। इसमें उत्तर प्रदेश सरकार के अलावा आयुक्त और डीएम भी शामिल हैं। न्यायपालिका से न्याय की उम्मीद है। 

डीएम बस्ती अंद्रा वामसी ने कहा कि सीडीओ की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई जाएगी, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। डीपीआरओ और अन्य अधिकारियों को कमी में शामिल किया जाएगा। यह कमेटी जनसंख्या, वोटर कार्ड, राजस्व अभिलेख और परिवार रजिस्टर को देखकर अपनी रिपोर्ट बनाएगी। राजस्व परिषद और शासन को रिपोर्ट पर आख्या भेजी जाएगी। 

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