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भारत में क्यों नहीं दिखता यह सूर्यग्रहण, निंगालू क्यों बोला जाता है इसे

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सूर्य ग्रहण

The Chopal: इस साल का पहला सूर्यग्रहण शुरू हो चुका है. यह ग्रहण अलग और खास है. यह भारत में नजर नहीं आ रहा है.  जब भी कोई ग्रहण पड़ता है तो यह दो तरह का होता है-चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण. इस बार जो सूर्यग्रहण पड़ने वाला है वो शताब्दी में कुछ बार ही होता है यानि इसे दुर्लभ कह सकते हैं. 

यह एक खास तरह का सूर्यग्रहण है, जो शताब्दी में कभी कभार ही होता है. इसे हिंदी में निंगालू सूर्यग्रहण और अंग्रेजी हाईब्रिड सोलर एक्लिप्सेस कहते हैं. नासा ने हाल ही में इसके बारे में बताया है.

क्या है हाइब्रिड

हाइब्रिड सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरते हुए सूरज को पूरी तरह ढक लेता है. ऐसे में चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है. इससे पृथ्वी के कई हिस्से पूरी तरह अंधेरे में आ जाते हैं.

क्या भारत में नजर आएगा 

नहीं यह भारत में नजर नहीं आएगा परंतु हिंद महासागर के कुछ हिस्सों से शायद देखा जा सके. यह हाइब्रिड सूर्य ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और पूर्वी तिमोर में नजर आएगा.मतलब यह सूर्यग्रहण दुनिया में बहुत कम जगहों पर ही नजर आएगा. भारतीय खगोलीय कैलेंडर के मुताबिक आकाश में यह खगोलीय घटना सुबह 07.04 बजे शुरू हो चुकी है. यह स्थिति दोपहर 12.29 बजे तक चलेगी.

ग्रहण खास स्थिति होती है 

ग्रहण दरअसल हमारे सौरगंगा में सूरज, चांद और धरती के बीच की खास स्थितियां होती है, जो साल में कई बार बनती है. कई बार यह संयोग बहुत विलक्षण और बहुत तीव्र असर वाले भी होते हैं.ग्रहण में धार्मिक क्रियाकलाप रोक दिए जाते हैं तो ज्योतिष विज्ञान इसकी व्याख्या अलग तरह के करता है. 

खगोलशास्त्र के मुताबिक सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है. पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूरी तरह या आंशिक तौर पर चंद्रमा द्वारा ढंक लिया जाता है. मतलब धरती और सूर्य के बीच धुरी पर घूमते रहने के दौरान आमतौर पर धरती और सूर्य का सीधा रिश्ता होता है. 

यह असर कभी कभी बहुत मामूली होता है तो कई बार घंटों में. एक बार तो धरती के कुछ हिस्सों में सूर्य कई दिनों तक नजर ही नहीं आया था. कई बार चंद्रमा इस तरह सूरज को ढंकता है कि एक रिंग सी बनने लगती है. यह प्रकाश इतना तीव्र होता है कि इसे नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए. इस बार का सूर्य ग्रहण कुछ इसी तरह का है. 

वलयाकार सूर्यग्रहण की तीन स्थितियां

1. पूर्ण सूर्य ग्रहण – पूर्ण सूर्य ग्रहण तब जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है. चांद पूरी तरह पृ्थ्वी को अपनी छाया के क्षेत्र में ले लेता है.

2. आंशिक सूर्य ग्रहण – आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है, चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है.

3. वलयाकार सूर्य ग्रहण – वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है मतलब चांद सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है.

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