राष्ट्र निर्माण मे है महिलाओं का अहम योगदान:- विजयता पाण्डेय

THE CHOPAL
भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के जन और जीवन दोनो के विकास का कारण नारी को माना गया है और किसी भी राष्ट्र का विकास महिला के योगदान के बिना संभव नहीं है । इसके साथ ही हमारे धार्मिक ज्ञानथो में यह अंकित है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जहाँ नारी का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता हैं अतः नारी है तो विकास है ।
क्योंकि यह एक परम सत्य है कि हमारी संस्कृति परंपरा और हमारी धरोहर एक नारी के बलबूते पर ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाती है हम वर्षों से यह देखते आ रहे हैं कि जब जब समाज मे कोई दरिद्रता आयी है तो नारी ने ही आगे बढ़कर उसे दूर करने का प्रयत्न किया है नेपोलियन बोनापार्ट ने नारी की महत्ता और उसके कार्यों को बताते हुए कहा था कि तुम मुझे एक योग्य माता दे दो तो मैं तुमको एक योग्य राष्ट्र दूंगा । इसके साथ ही भारत के परिपेक्ष्य में देखें तो कई ऐसी महिलाएं हुई है जिन्होंने भारत के विकास अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।
इतिहास में दर्ज महिलाओं का योगदान;
यदि हम भारत का इतिहास देखें तो वह महिलाओं की स्तिथि उतनी अच्छी नहीं दर्शता है परंतु इसके वाबजूद भी भारत के धार्मिक ग्रंथ और भारत के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका रही है हमारे धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद और उपनिषद में महिलाओं को देवी की भांति माना जाता था और उन्हें संतो के समान आदर व सम्मान प्राप्त था। यदि हम इतिहास के पन्नों को खोल कर देखे तो कौन भूल सकता है उस महान नारी जीजा बाई , रानी लक्ष्मी बाई , रजिया सुल्तान , मीरा की कहानी जिन्होंने समय मे चली आ रही कुरीतियों से लड़ते हुये समाज मे अपने नाम का परचम लहराया और देश को विकास की एक नई दिशा प्रदान की
इसके साथ ही प्राचीन भारत में महिलाओं ने देश के राजनीतिक और सामाजिक सुधार के विकास में अहम भूमिका निभाई है यदि हम इतिहास पर गौर करें तो विजय लक्ष्मी पंडित ने 1946 से 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा भारत का प्रतिनिधित्व किया और वह इस संघ में सदस्य भी रही और 1964 में महाराष्ट्र की राज्यपाल भी बनी और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज समाज जब ऊंचाईयों को छू रहा है तो उसे इन ऊंचाइयों तक पहुंचाने में एक स्त्री की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं क्योंकि एक राष्ट्र में जब भी परिवर्तन हुआ है उसका आरंभ स्त्री द्वारा ही हुआ है ।
साहित्य के विकास में महिलाओं का योगदान:
किसी भी राष्ट्र के निर्माण और विकास में साहित्य का एक अलग ही योगदान रहता है क्योंकि साहित्य हमे सिर्फ एक राष्ट्र में ही नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ऊपर उठाया है और अगर हम भारतीय साहित्य पर गौर करें तो भारतीय साहित्य में महादेवी वर्मा , सुभद्रा कुमारी चौहान, मृदुला , उषा प्रियवृन्दा में अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इनके साहित्य से हमारे इतिहास के पन्ने आज भी शुशोभित हैं इन्होंने अनेको भाषाओं में अपनी कृतियों का लेखन किया है ऒर भारतीय जन जीवन का गहन अध्ययन और चित्रण कर भारत का मस्तक गर्व से देश विदेश तक ऊंचा किया है ।
शिक्षा विज्ञान और खेल मे महिलाओं का योगदान:
सिर्फ साहित्य ही नहीं महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र अपना परचम लहराने में कामयाब रहीं है तथा उन्होंने अपने कारनामो से सदैव यह सिद्ध किया है कि वह पुरुष से अधिक योग्य और सार्थक हैं जो प्रत्येक कार्य को करने में सफल हैं और इसका सबसे योग्य उदाहरण तब सामने आया जब 4 मई 1984 को बछेंद्री पाल एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे वाली पहली महिला बनी इसके साथ की करेल न्यायालय में 5 अक्टूबर 1989 को फातिमा वीवी ने प्रथम महिला जज बनकर देश को विकास के पथ की और अग्रसर किया और वह प्रत्येक महिला के लिये एक मिसाल बनी ।
वर्तमान भारत का विकास और महिलाएं:
किसी भी देश के विकास में महिलाओं की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है क्योंकि महिला और पुरूष दोनो एक ही सिक्के के दो पहलू है बिना एक के समर्थन के दूसरा अधूरा है इसी प्रकार किसी राष्ट्र संघ या संस्था का पुर्ण विकास किसी एक के प्रयत्नों से संभव नहीं है आज हम 21 वीं सदी में जी रहें हैं नयी नयी तकनीक का उपयोग कर रहें हैं परन्तु इन सभी के विकास में महिलाओं का अहम योगदान है आज के समय मे महिलाओं हर और अपना परचम लहराया है यह स्वास्थ्य , आर्थिक ,राजनीति, तकनीकी, आदि सभी क्षेत्रों में अपनी अहम भूमिका निभा रही है और जिस राष्ट्र की महिलाएं समाज की गतिविधियों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेती है वहां के विकास की गति स्वयं ही बढ़ जाती है परंतु हम यदि भारत की स्थिति देखे तो यहाँ महिलाओं को अधिकार तो प्राप्त है पर उनका उपयोग सही मायने में देश की गिनी चुनी महिलाओं द्वारा ही किया जाता हैं ।
वर्ष 2011 की जनगणना पर अगर हम गौर करे तो भारत मे लगभग 42 करोड़ कार्यशील लोग निवास करते हैं जिसमें से एक चौथाई महिला कामगर हैं यह आंकड़ा वास्तव में एक चितां का विषय है क्योंकि एक और जहां महिलाएं देश और राष्ट्र के विकास की अहम कड़ी के रूप में जानी जाती हैं वहीं एक और महिलाओं की यह स्थिति देश के विकास को स्थगित करने के लिये काफी है
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने महिलाओं के विकास की और अपना रुख किया है । क्योंकि अब सभी को कहीं न कहीं यह समझ आ रहा है कि एक देश की प्रगति में महिला महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और शायद अब हमारी सरकार ने भी एक नारी की योग्यता और क्षमता को समझने की कोशिश की है जिसके चलते सरकार ने महिला सशक्तिकरण को लेकर कड़े कदम उठाये हैं जिसके अंतर्गत बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से लेकर बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं और उनके दैनिक जीवन से जुड़ी हुई योजनाएं शामिल हैं इसके साथ ही केंद्र सरकार ने अपने कामकाज की बदौलत एक तरह से महिलाओं को एक साथ जोड़ दिया है और देश व राष्ट्र के विकास में महिलाओं के योगदान को समझा है
अर्थव्यवस्था के विकास में महिलाओं का योगदान:
जहाँ महिलायें प्रत्येक दिशा में अपना परचम लहराने में सफल रहीं हैं वहीं देश की अर्थव्यवस्था के विकास में भी इनका पुरुषों के समान योगदान रहा है कृषि कार्य से लेकर अर्थिक विकास की सभी गतिविधियों में महिलाओं का सर्वश्रेष्ठ योगदान रहा है इसके साथ ही यदि हम प्राचीन काल से देखे तो भारत के विकास की दर दिन प्रतिदिन उच्च हुई है जिसका एक मात्र कारण बचत और पूंजी निर्माण को माना जाता है यदि हम आकड़ो के अनुसार देखें तो भारत मे बचत दर सकल घरेलू उत्पाद का 33 प्रतिशत है जिसमें 70 प्रतिशत का योगदान घरेलू बचत का है जबकि मात्र 10 प्रतिशत सार्वजनिक क्षेत्र का इसलिये हमे यह कहने में कोई संदेह नहीं होना चाहिये की भारत की अर्थव्यवस्था के विकास का मुख्य संचालन महिलाओं के योगदान से ही सम्भव है अगर हम हम घरेलू उद्योगों की और अपना ध्यान केंद्रित करें तो कृषि क्षेत्र में के श्रम की हिस्सेदारी 55 से 66 प्रतिशत है वहीं डेयरी उद्योग में महिलाओं की हिस्सेदारी सम्पूर्ण रोजगार के अनुमान का 94 प्रतिशत है जबकि वन व अन्य लघु औद्योगिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी लगभग 59 प्रतिशत है जो यह दर्शन है कि महिलाओं के बिना किसी भी क्षेत्र का सम्पूर्ण विकास संभव नहीं है ।
ग्रामीण महिलाओं की श्रम व्यवस्था :
ग्रामीण महिलाओं की श्रम व्यवस्था अन्य महिलाओं की श्रम व्यवस्था से अभिन्न है क्योंकि हम अगर सहरी परिपेक्ष्य में देखें तो वहां की महिलाएं सुख सुविधाओं से संम्पन्न है उनकी श्रम व्यवस्था एकल है यदि वह किसी क्षेत्र या संस्था से जुड़ी हैं तो उनका सम्पूर्ण ध्यान उसके कार्यभार में रहता है परंतु ग्रामीण परिपेक्ष्य में स्थित इसके बिल्कुल विपरीत है वहां महिला अगर किसी क्षेत्र में कार्य करती है तो उसे अपना जीवन दोहरे श्रमिक की तरह व्यतीत करना पड़ता है क्योंकि ज्यादातर ग्रामीण महिलाएं परिवार से जुड़ी होती है तो उनकी प्रथम प्राथमिकता उनका परिवार और फिर उनका अन्य कार्य परंतु इसके बाद भी आजके समय मे एक भारी मात्रा में महिलाओं में औद्योगिक वातावरण से जुड़ने का प्रत्यन किया है और समाज को विकास की एक नयी दिशा प्रदान की है बतौर महिला यदि हम देखे तो एक पुरूष की भांति महिला को समाज मे आज भी सम्मान नहीं प्राप्त है और जब एक महिला आज पुरूष के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ी होती है परन्तु बात जब ग्रामीण महिला की हो तो उसके लिये परिस्थिति थोड़ी बिडम्बना से भरी होती है क्योंकि उसको शहर की महिलाओं की भांति रहने और जीने की आजादी नहीं होती जब एक गाँव की महिला पुरूष से साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ती है तो उसे समाज से कई प्रकार की आलोचनाओं और तिरस्कार का सामना करना पड़ता है परंतु इतना सब होने के बाद भी आज ग्रामीण परिवेश में महिलाओं की एक बडी आबादी देश मे विकास में अपना सम्पूर्ण योगदान दे रही हैं और राष्ट्र को विकास के पथ की और अग्रसर करने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
आने वाले समय मे देश के विकास में कैसी रहेगा महिलाओं की भूमिका:
जहाँ देश के विकास में महिलाओं के योगदान को कोई नकार नहीं सकता वहीं अब सबके सामने यह सवाल भी आता है कि आने वाले वक़्त में महिलाओं की स्थिति क्या रहेगी और देश के विकास में सम्पूर्ण विश्व की 3 अरब महिलाएं किस प्रकार अपना योगदान देंगी इन सभी चीजो को सही रूप से क्रियान्वित करने के लिये दुनिया की सरकारी व पूंजीवादी संस्थाएँ निरंतर अलग अलग प्रयत्न कर रहीं हैं तथा उनके प्रोत्साहन को बढ़ाने के लिये कई योजनाओं का संचालन करने का नियमित रूप से प्रयत्न कर रहीं हैं ।
अंतराष्ट्रीय परामर्श व प्रबंधन संस्था बूज एंड कम्पनी के थर्ड विलियम इंडेक्स के सूचकांक की और यदि गौर करें तो अगले आने वाले 1 दशक में समस्त विश्व की 1 अरब से ज्यादा महिलाएं देश के आर्थिक विकास को संचालित करने वाले औद्योगिक क्षेत्र से जुड़ेंगी जो अपने अपने देश और राष्ट्र के विकास के लिये हितकारी कार्य करेंगीं ।
देश के विकास में महिलाओं का योगदान श्रेष्ठतम बनाने के लिये किये जाने वाले आवश्यक प्रयास:
हमे देश में सामाजिक आर्थिक और बौद्धिक विकास के लिये एक ऐसे परिपेक्ष्य का गठन करना चाहिये जो महिलाओं को उनकी कार्यकुशलता और उनकी प्रवृत्ति के बारे में बता सके। देश तथा राष्ट्र मे लिये जाने वाले आर्थिक सामाजिक राजनीतिक और अन्य सभी प्रकार के निर्णय में महिलाओं को पुरुषों की भांति तर्क और सुझाव देने की अनुमति हो ।
हमारा देश आज भी पितृसत्तात्मक है यहाँ आज भी पुरूष अपना पुरुषार्थ दिखाने से नहीं चूकता इसलिये हमे पितृसत्तात्मक प्रणाली का वहिष्कार करना चाहिये और महिलाओं को समान अधिकार देने चाहिये । स्वास्थ्य, शिक्षा, तकनीक व अन्य सभी क्षेत्रों में समान व्यवहार और एक समान कार्य व सुविधाओं से शुशोभित करना चाहिये जिससे उनके मन मे पल रहा भय नष्ट हो और वह भी पुरुषों की भांति देश विकास में अग्रणी भूमिका निभाने के लिये आगे आयें।
विकास के सभी क्षेत्रों में होने वाले लैंगिक भेदभाव को समाप्त करके के लिये कड़े कदम उठाने चाहिए । एक ऐसे समाज की स्थापना करने की पहल शुरू करनी चाहिए जहां सभी एक दूसरे को इंसान की भांति देखे न की ऐसा जहां पुरूष अपने पुरुषार्थ के आगे स्त्री को झुकाने की कोशिश करें।