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Success Story : छोटी सी उम्र में शादी के बाद 3 बच्चों की मां पर टूटे दुख के पहाड़, आज दे रखा 30 महिलाओं को रोजगार

कोरोना कॉल के कारण लगे लॉकडाउन के चलते जोधपुर की रहने वाली निर्मला ने खुद को और अपने परिवार को बड़ी मुश्किलों का सामना करके बचाया। निर्मला की मां, भाई और भाभी ने भी बहुत सारी मुश्किलों के बोझ तले दबी निर्मला का बहुत सहयोग किया। 
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छोटी सी उम्र में शादी के बाद 3 बच्चों की मां पर टूटे दुख के पहाड़, आज दे रखा 30 महिलाओं को रोजगार 

The Chopal, Success Story : निर्मला के पति की फरवरी 2020 में ब्रेन हैमरेज के कारण मौत हो गई। निर्मला की जिंदगी में तीन बच्चों और घर की पूरी जिम्मेदारी आ गई। देश भर में लॉकडाउन के दौरान निर्मला ने सब कुछ संभालने के लिए खुद को मजबूत कर ही लिया था। पहले से ही कठिनाइयों का सामना करने वाली निर्मला को अब आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। उनकी शादी कम उम्र में होने की वजह से उनके पास कोई प्रोफेशनल डिग्री या डिप्लोमा नहीं था, जो उन्हें नौकरी पाना मुश्किल हो रहा था।

लेकिन निर्मला ने हार नहीं मानी और पहाड़ की तरह की चुनौतियों से लड़ते हुए एक शानदार कहानी लिख डाली। निर्मला से बातचीत कर दौरान उन्होंने बताया कि उनकी मां, भाई और भाभी ने पारिवारिक जिम्मेदारियों और चिंताओं के उस दौर में उनका सहारा दिया। इन तीनों ने उन्हें पैसा दिया और उनकी क्षमताओं का एहसास कराया। निर्मला, जो सिर्फ बारहवीं कक्षा में पढ़ी थी, आज पारंपरिक राजस्थानी स्नैक्स के जरिए अपने आसपास की महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गई हैं।

150 रुपये का मिल था फर्स्ट ऑर्डर 

निर्मला के पति की मौत होने के बाद उन्होंने गरीबी का सामना करते हुए 'मारवाड़ी मनवार' नाम से काम शुरू किया। इस बिजनेस के द्वारा वे राजस्थानी नाश्ते के कई प्रकार के व्यंजन बनाकर बेचती हैं। किंतु सब कुछ इतना आसान नहीं था। शुरुआत में वे भी लोगों से ताने सुनते थे। लेकिन निर्मला ने कोई परवाह नहीं की और अपनी मंजिल की ओर चलती गईं। उनका पहला ऑर्डर महज 150 रुपये का था, लेकिन उनके इरादों को प्रेरित करने के लिये ये पर्याप्त था।

30 महिलाओं को दिया रोजगार 

30 महिलाओं को रोजगार दे रही निर्मला आज घर पर बनाए गए राजस्थानी खाना जैसे अचार, पापड़ और अन्य व्यंजनों को दूर-दूर तक पहुँचा रही हैं। निर्मला मारवाड़ी मनवार में 150 से अधिक राजस्थानी नाश्ते बनाकर बेचती हैं। पुराने व्यंजनों की इस कला के माध्यम से वह लगभग 30 महिलाओं को काम दे रही हैं। निर्मला बताती हैं कि उनकी मां, भाई और भाभी ने उन्हें उठने में मदद की। निर्मला अपने परिवार के साथ जोधपुर से शुरू हुई सफलता की कहानी बताती हैं।

मां की कला को बढ़ाया आगे 

घर से ही काम करने वाली महिलाओं की टीम निर्मला की मां ने राजस्थानी नाश्ते बनाने में महारत हासिल की थी और अब उनकी बेटी इस विरासत को बड़े स्तर पर संभाल रही हैं। निर्मला का कहना है कि उनके यहां सभी उत्पाद पूरी तरह से हाथ से बनाए जाते हैं, बिना किसी मशीन, आर्टिफिशियल सामग्री या केमिकल का इस्तेमाल किए जाने के। उनके पास कोई उत्पादन नहीं है, लेकिन उनके पास उत्कृष्ट महिलाओं की एक टीम है। यह टीम अपने घर से ही हर व्यंजन बनाती है, पारंपरिक तरीके से। निर्मला ने कहा कि वह चाहती है कि महिलाएं मजबूत और आत्मनिर्भर बनें। मुश्किल समय का सामना करने के लिए उन्हें अपने आप पर निर्भर रहना चाहिए। इसलिए, वे लगातार महिलाओं के लिए नए अवसर खोज रहे हैं।

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