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गेहूं मक्की बाजरा में तेजी, मोटा चावल रहेगा मंदा

Thick rice will remain slow in wheat maize millet

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The Chopal , New Delhi 

New Delhi : बाजरा, मक्की और गेहूं में इस बार तेजी का माहौल जल्द ही बन सकता है. जबकि गैर बासमती चावल का बाजार कुछ डाउन जा सकता है. बाजरा की फसल इस बार उम्मीद के अनुसार नहीं थी. जिसके चलते पहले से ही स्टोकिस्टो ने स्थिति को भांपते हुए माल कब्जा लिया. लेकिन साथ ही अधिक लागत वाले स्थानों पर नए - पुराने बाजरा की उपलब्धि अधिक होने से बाजार  पर दबाव देखने को मिला. इस समय हाजिर बाजार की मंडियों में बाजरे के दाम पर 1550 से 1650 के आसपास दिखाई दे रहे हैं.

लेकिन यह भाव कुछ दिनों में सुधारते हुए दिखाई देंगे, क्योंकि प्राइवेट स्टॉकिस्ट को छोड़कर सरकारी एजेंसियों के पास नाम मात्र का बाजरा भी उपलब्ध नहीं है और अभी फसल आने में लंबा समय बाकी है. इसलिए थोड़ा आगे चलकर बाजरा में सुधार देखने को मिल सकता है. वही मक्की में अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग कमजोर होने से निर्यात सौदों पर बाधा देखने को मिल रही है. लेकिन घरेलू बाजार में मक्की की मांग लगातार बनी हुई है. पोल्ट्री उद्योग से लेकर दूसरे खपत क्षेत्र भी मक्की की मांग चल रही हैं.

फिलहाल दक्षिण भारत के राज्यों में मक्की का स्टॉक बेहद कमजोर बताया जा रहा है. जबकि मध्य भारत में मक्की का अच्छा उत्पादन होने से भाव फिलहाल 1700 से नीचे बने हुए हैं. लेकिन आगे आने वाले दिनों में मक्की में ठीक-ठाक सुधार देखने को मिलेगा. देशभर में इस बार गेहूं की बिजाई कुछ कमजोर है. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि कुछ राज्यों में गेहूं की बिजाई बढ़ भी सकती है. इसलिए कुल उत्पादन करीब करीब पिछले साल से थोड़ा बहुत ही कमजोर रह सकता है. हालांकि उत्तर भारत में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गेहूं की बिजाई काफी चढ़ती हुई दिखाई दी है.

जानकारों का कहना है कि नई फसल आने से पहले गेहूं का बाजार फ़िलहाल 2100 से 2200 के सत्र से 200 300 बढ़ सकता है. जबकि मोटा चावल वायदा बाजार से बाहर होने के बाद कुछ दबाव में दिखाई दे रहा है. कहा जा रहा है कि निर्यात मांग कमजोर से अधिक शुन्य के स्तर पर है जिसके चलते बाजार दबाव में है और स्टॉकिस्टों के साथ-साथ किसान द्वारा बिकवाली बढ़ाने से भाव कमजोर है.