Home: अब घर बनवाने की चिंता खत्म, बिना ईंट व सीमेंट बिल्कुल कम लागत, जाने तरीका

THE CHOPAL - भारत देश में करोड़ों लोगों के पास रहने को घर भी नहीं है। आपको बता दे की बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जिनके पास जमीन होते हुए भी घर नहीं है. वजह यह कि उनके पास बहुत पैसे नहीं हैं. मकान बनाना दिन-ब-दिन महंगा होता जा रहा है. ऐसे में जरूरत है, कम लागत में बनने वाले मकानों की. महत्वपूर्ण बात ये है कि कम लागत में मकान तैयार हो भी जाए, लेकिन उसका टिकाऊ होना भी उतना ही जरूरी है.
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देश में बहुत सारे इलाके ऐसे हैं, जहां बाढ़, बरसात , तूफान वगैरह आते रहते हैं और ऐसे में घर-मकान तबाह हो जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कम खर्च में मजबूत और टिकाऊ मकान बनाने की. इसका रास्ता निकाला, ओडिशा के कटक निवासी काजल पटनायक की 22 वर्षीय बेटी स्वस्ति पटनायक ने. हमने काजल पटनायक से इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बातचीत की.
FRP से तैयार किया सस्ता और टिकाऊ घर-
ओडिशा एक ऐसा राज्य है, जिसे अक्सर साइक्लोन (समुद्री तूफान) झेलना पड़ता है. लगभग हर साल तूफान झेलने वाला यह राज्य संघर्ष करता है और फिर उठ खड़ा होता है. ओडिशा की ही बेटी स्वस्ति पटनायक ने फाइबर रेनफोर्स्ड प्लास्टिक (Fibre-Reinforced Plastic) का इस्तेमाल करते हुए बेहद सस्ते लेकिन मजबूत और टिकाऊ घर बनाए हैं. हेलमेट और कार का बम्बर वगैरह इसी फाइबर रेनफोर्स्ड प्लास्टिक के बने होते हैं. मजबूती को लेकर काजल पटनायक विश्वास दिलाते हुए कहते हैं, “दुर्घटनाओं में सिर की सुरक्षा के लिए जो हेलमेट बनाए जाते हैं, वे इसी एफआरपी के बने होते हैं. वे इतने मजबूत होते हैं कि हमारी जान बच जाती है, तो इससे बने मकान भी तो उतने ही मजबूत होंगे. इसलिए मजबूती को लेकर संदेह की गुंजाइश ही नहीं है.”
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कैसे आया FRP House बनाने का आइडिया?
स्वस्ति के पिता काजल पटनायक बताते हैं कि उनकी फैक्ट्री में पोर्टेबल टॉयलेट्स बनाने में FRP का इस्तेमाल किया जा रहा था. कटक में उनका काम वर्ष 2005 से ही चल रहा था. उनकी बेटी स्वस्ति को यकीन था कि इससे मकान भी बनाए जा सकते हैं. KIIT भुवनेश्वर से फैशन टेक्नॉलजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वस्ति ने पिता से इसकी पूरी जानकारी ली और लॉकडाउन के दौरान उसने इस आइडिया पर काम करना शुरू कर दिया.
कहीं भी उठाकर ले जा सकते हैं घर-
एफआरपी से बने इन घरों की खासियत ये है कि पोर्टेबल शौचालयों की तरह इन्हें भी बड़े आराम से उठाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. ऐसे मकानों को एंकर हुक की मदद से किसी भी समतल जगह पर फिट किया जा सकता है. काजल पटनायक को अपनी बेटी का आइडिया बहुत पसंद आया और जब मकान तैयार हुए तो बहुत खूबसूरत और मजबूत बनकर सामने आए.
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1 रूम सेट से लेकर बालकनी वाले घर तक-
शुरुआत में तीन तरह के FRP घरों के मोल्ड्स तैयार किए गए. पहले में एक कमरे वाला घर है. दूसरे में 1BHK टाइप बेडरूम, किचन, बाथरूम वगैरह है. वहीं तीसरे मोल्ड में तो बालकनी भी बनी है. एफआरपी से बने इन मकानों के अंदर का हिस्सा एमडीएफ बोर्ड से तैयार किया गया है. स्वस्ति ने जुलाई में काम शुरू किया था और डेढ़ महीने में इसे बनवाकर तैयार कराया.
ऐसे मकानों में खर्च कितना आता है?
इन मकानों को बनाने का खर्च कंक्रीट से तो बेहद कम है. सामान्य कंक्रीट के घर में 5000 रुपये प्रति वर्ग फुट का खर्च आता है, जबकि FRP वाले मकान महत 1200 रुपये प्रति वर्ग फुट में तैयार हो जाते हैं. स्वस्ति ने जो सबसे बड़ा घर बनाया है, वह 240 वर्ग फुट का है और उसकी कीमत 3 लाख रुपये है. वहीं 180 वर्ग फुट आकार वाले घर की कीमत 2.2 लाख रुपये, जबकि 100 वर्ग फुट के एक छोटे से घर की कीमत 1.2 लाख रुपये है. इनके अलावा और भी कई सारे मॉडल्स अलग-अलग रेंज में उपलब्ध हैं.
तूफान भी झेल जाएगा घर!
FRP के ये घर लगभग 200 मील प्रति घंटा के तूफान को आराम से झेल सकते हैं. इससे ज्यादा भयंकर तूफान हो तो भी दिक्कत नहीं है. चूंकि ओडिशा में लगभग हर साल बाढ़ या सूनामी का खतरा रहता ही है तो ऐसे में इन पोर्टेबल घरों को समंदर किनारे वाले इलाकों से हटाया भी जा सकता है. तूफान में मकान टूटने पर सरकार को राहत या मुआवजा देना होता है. ऐसे घरों से यह राशि भी बचेगी. स्वस्ति को एक महीने के अंदर ऐसे करीब 50 से ज्यादा घरों के ऑर्डर मिल चुके हैं.