Ancestral Property: पुश्तैनी संपत्ति बेचने से पहले जान लें ये 5 जरूरी बातें, वरना फंस सकते हैं केस में

Ancestral Property: भारत में पुश्तैनी जमीन-जायदाद का मामला बहुत ही भावनात्मक और अहम होता है, क्योंकि यह कई पीढ़ियों से परिवार की यादों और अधिकारों से जुड़ा होता है। अक्सर इन संपत्तियों का बंटवारा या नाम बदलवाना आसान नहीं होता। इसमें कानूनी प्रक्रिया, पारिवारिक झगड़े और भावनाएं जुड़ी होती हैं, इसलिए यह एक संवेदनशील मुद्दा बन जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुश्तैनी संपत्ति बेचने के लिए सिर्फ एक आदमी का फैसला काफी नहीं होता? ऐसी जमीन या जायदाद बेचने से पहले कुछ जरूरी कानूनों और नियमों को जानना बहुत जरूरी होता है।
पुश्तैनी संपत्ति क्या होती है?
भारत में संपत्ति दो तरह की होती है, निजी और पुश्तैनी।निजी संपत्ति वह होती है जो कोई व्यक्ति अपनी कमाई से खरीदता है, या उसे गिफ्ट या वसीयत (Will) के ज़रिए मिलती है। वहीं पुश्तैनी संपत्ति वह होती है जो किसी व्यक्ति को उसके पूर्वजों से मिलती है। इस पर परिवार की चार पीढ़ियों दादा, पिता, बेटा और पोता का बराबर हक होता है।
पुश्तैनी संपत्ति बेचने का हक किसका होता है?
अगर कोई सोचता है कि वह अकेले पुश्तैनी जमीन या मकान बेच सकता है, तो यह गलत है। ऐसी संपत्ति पर सभी वारिसों का बराबर हक होता है, चाहे वो बेटे हों, बेटियां हों या दूसरे कानूनी हकदार। इसलिए अगर कोई एक व्यक्ति संपत्ति बेचना चाहता है, तो उसे पहले सभी हिस्सेदारों से लिखित मंजूरी लेनी जरूरी होती है।
बिना मंजूरी बेची तो हो सकता है कानूनी झगड़ा
अगर पुश्तैनी संपत्ति को बिना सभी वारिसों की इजाजत के बेच दिया गया, तो बाकी सदस्य कोर्ट में जाकर उस सौदे को चैलेंज कर सकते हैं। ऐसे मामलों में कोर्ट संपत्ति की बिक्री पर रोक लगा सकता है, सौदा रद्द कर सकता है और संपत्ति वापस देने का आदेश भी दे सकता है। मतलब, बिना सबकी मंजूरी के किया गया सौदा लंबे कानूनी झमेले में फंसा सकता है।
परिवार में तनाव और रिश्तों में दूरी
पुश्तैनी संपत्ति के मामले में कई बार ऐसा होता है कि कोई एक सदस्य बिना बाकी लोगों की राय लिए या उन पर दबाव डालकर ज़मीन बेच देता है। इससे घर में झगड़े बढ़ जाते हैं, रिश्तों में दूरी आ जाती है और मामला कोर्ट-कचहरी तक पहुंच सकता है। इसलिए ऐसी संपत्ति बेचने से पहले सभी के बीच आपसी समझ और साफ बातचीत बहुत जरूरी है।
कानूनी सलाह क्यों ज़रूरी है
पुश्तैनी या विरासत में मिली संपत्ति के मामलों में कानून थोड़ा जटिल होता है। कई बार जानकारी की कमी के कारण लोग गलत फैसले ले लेते हैं, जिससे संपत्ति का नुकसान हो सकता है और समय व पैसे की भी बर्बादी होती है। इसलिए किसी भी तरह की खरीद-बिक्री या बंटवारे से पहले किसी अच्छे वकील से सलाह जरूर लेनी चाहिए।