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Delhi में हुआ लोकसभा चुनाव का बहिष्कार, लगा मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप

Delhi News : देश की राजधानी दिल्ली में लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई। और दिल्ली की मौजूदा सरकार से दिल्ली टैक्सी और ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन खफा है। दिल्ली में लोकसभा चुनाव को लेकर केंद्र और दिल्ली की आप सरकार दिल्ली टैक्सी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की मांगों को नजर अंदाज करने का बड़ा आरोप लगाया गया है। पढ़ें पूरी खबर 

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Delhi में हुआ लोकसभा चुनाव का बहिष्कार, लगा मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप

Lok Sabha Elections 2024 : देश की राजधानी दिल्ली में लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई। और दिल्ली की मौजूदा सरकार से दिल्ली टैक्सी और ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन खफा है।  बुधवार को दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एंड टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ने कहा कि सदस्यों और उनके परिवारों ने आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया है। यूनियन के सदस्यों को केंद्र और दिल्ली सरकार के खिलाफ उनकी लंबे समय से चली आ रही मांगों, पैनिक बटन, स्पीड गवर्नर और टोल टैक्स फीस को खत्म करने के बारे में कोई ठोस फैसला नहीं लेने से बहुत नाराजगी है। एसोसिएशन में 1,000 ड्राइवर और लगभग 1,500 लोग शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने कहा कि हम लगभग एक दशक से कुछ मुद्दे उठाते रहे हैं..।केंद्रीय सरकार और "आप" सरकार दोनों ने हमें नजरअंदाज किया है, इसलिए हमें नजरअंदाज करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने पिछले कई सालों से कॉमर्शियल टूरिस्ट टैक्सियों और बसों के स्थानों को ट्रैक करने के लिए पैनिक बटन लगाए हैं। सरकार द्वारा सूचीबद्ध प्राइवेट प्लेयर्स और डिम्ट्स (DIMITS) सिम कार्ड के लिए 15,000 रुपये और 2,850 रुपये वसूलते हैं, लेकिन ये पैनिक बटन नहीं काम करते।

एसोसिएशन ने कहा कि हाईवे और एक्सप्रेसवे पर गति सीमा के कारण वे 80 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल सकते हैं, जबकि निजी कार 120 किलोमीटर तक चल सकती है। एसोसिएशन ने कहा कि बार-बार गुहार लगाने के बावजूद न तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनके मंत्रियों और केंद्र सरकार के मंत्रियों ने उनकी बात सुनी है। 

प्रधानमंत्री ने कहा, “यह न केवल ड्राइवरों के लिए बल्कि पर्यटकों, विशेषकर महिलाओं के लिए भी लगातार खतरा पैदा करता है क्योंकि हाईवे पर लुटेरे अक्सर वाहनों को ओवरटेक करके लूट लेते हैं।” हमारे पास फास्टैग की एक और बड़ी समस्या है; पैसे स्वचालित रूप से खर्च होते हैं, चाहे ड्राइवर नहीं हो।