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Delhi Metro: दिल्ली में बिछ रही नई मेट्रो लाइन, बनाए जाएंगे 15 नए स्टेशन

Tughlakabad-Aerocity Corridor : दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (Delhi Metro Rail Corporation) ने तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर (Tughlakabad-Aerocity corridor) की गोल्डन लाइन (Golden Line) पर छतरपुर और छतरपुर मंदिर स्टेशन के बीच एक सुरंग बनाई है।
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Delhi Metro: दिल्ली में बिछ रही नई मेट्रो लाइन, बनाए जाएंगे 15 नए स्टेशन

Delhi Metro : दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (Delhi Metro Rail Corporation) ने तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर (Tughlakabad-Aerocity corridor) की गोल्डन लाइन (Golden Line) पर छतरपुर और छतरपुर मंदिर स्टेशन के बीच एक सुरंग बनाई है। डीएमआरसी ने चौथे चरण में, 97 मीटर लंबी टनल बोरिंग मशीन (TBM) द्वारा 865 मीटर लंबी गोल्डन लाइन (Golden Line) पर सुरंग तैयार की गई, जिसमें लगभग पांच महीने का समय लगा। यहां दो समानांतर वृत्ताकार सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है जो ऊपर और नीचे की ओर चल सकते हैं। तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर (Tughlakabad-Aerocity corridor) का निर्माण 2026 तक पूरा हो जाएगा।

यह सुरंग एयरोसिटी से तुगलकाबाद के बीच छतरपुर और छतरपुर मंदिर के बीच बनाया जा रहा है। यह लाइन कश्मीरी गेट को एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन से जोड़ेगी। तुगलकाबाद-एयरोसिटी (Tughlakabad-Aerocity corridor) रूट पर कुल 15 स्टेशन बनाए जाएंगे। 23.62 किलोमीटर लंबे गोल्डन रूट (Golden Line) बनने से दिल्ली मेट्रो अब दक्षिण दिल्ली के उन इलाकों में भी जाएगी जहां अभी तक मेट्रो की सेवा नहीं है। 40.109 किलोमीटर की भूमिगत लाइनों का निर्माण अब तक मंजूर किए गए दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) के चौथे चरण का हिस्सा है। एयरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर (Tughlakabad-Aerocity corridor) का कुल भूमिगत क्षेत्र 19.343 किलोमीटर है।

15 मीटर गहराई पर हुआ, नई सुरंग का निर्माण

दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) के अधिकारियों ने बताया कि इस नई सुरंग को बनाने के लिए 97 मीटर लंबी टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग किया गया। इस नई सुरंग (New Tunnel) का निर्माण 15 मीटर गहराई पर हुआ है। इस सुरंग का व्यास 5.8 मीटर और सुरंग (Tunnel) को बनाने के लिए 618 रिंग का इस्तेमाल हुआ है।

सुरक्षा उपायों के अंतर्गत किया गया, सुरंग का निर्माण

दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) ने वायाडक्ट के नीचे सुरंग (Tunnel) बनाते समय सभी सुरक्षा उपायों को अपनाया है। अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों के साथ आसपास की संरचनाओं पर जमीनी हलचल की निगरानी की गई। इन उपायों का उद्देश्य था कि कहीं भी सुरक्षा से कोई समझौता न हो।