The Chopal

रेल्वे कर्मचारियों की भावुक कर देने वाली वजह, पेड़ पौधों को पालते है बच्चों की तरह प्यार

अगर दुनिया में वृक्ष नहीं होते तो क्या होता? इंसानों को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन कहां से मिलता है? खाने योग्य फल नहीं होते। इंसानों को भी अनाज नहीं मिलता। इसका स्पष्ट अर्थ था कि इन पेड़ों पर पर्यावरण और लोगों की जान निर्भर है। 
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Emotional reason behind railway employees, they nurture trees and plants with love like children.

The Chopal - सोचिए, अगर दुनिया में वृक्ष नहीं होते तो क्या होता? इंसानों को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन कहां से मिलता है? खाने योग्य फल नहीं होते। इंसानों को भी अनाज नहीं मिलता। इसका स्पष्ट अर्थ था कि इन पेड़ों पर पर्यावरण और लोगों की जान निर्भर है। पेड़ों से हमें बहुत कुछ मिलता है, लेकिन हम उनसे बहुत कुछ नहीं दे पाते।

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पेड़ों से करता हैं प्यार - 

झारखंड के चक्रधरपुर में एके पांडे नामक रेलवे कर्मचारी पेड़ों को अपने पेट का टुकड़ा मानते हैं। वह अपने बेटों की तरह उन्हें प्यार करता है। इसकी कहानी बहुत भावुक है। AK Pandey चक्रधरपुर रेल मंडल के बिजली विभाग के TRD सेक्शन में काम करते हैं। कुछ सालों पहले उनके पुत्र का देहांत हो गया था। वे अपने बेटे की मृत्यु से दुखी थे। एके पांडे ने इससे बचने के लिए पेड़-पौधों की मदद करनी शुरू कर दी। 2019 से उन्होंने बेटे की स्मृति में पौधारोपण शुरू किया। उनके साथ और भी लोग जुड़ गए।

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देखभाल - 

चक्रधरपुर रेलवे क्षेत्र के सड़क किनारे उन्होंने वृक्षारोपण किया। पौधों का भी पूरा ध्यान रखा। वह हर दिन पौधों की देखभाल करने के लिए भी समय निकालते हैं। इनमें से कई पेड़ फलदार हो गए हैं और छाया देते हैं। वे इन पेड़ों पर अपने बेटे अंकित पाण्डेय को देखते हैं। पेड़ों का विकास देखकर वे खुश होते हैं। वे पेड़ों की पत्तियों को सवांरते हैं और उनके टहनियों को छूते हैं। 

एके पांडे का कार्य समाज के लिए एक उदाहरण है

Ek Pandey का पेड़ों से प्यार उन लोगों के लिए भी प्रेरणा है जो पेड़ों को अपने परिवार का हिस्सा नहीं मानते। मानव जीवन पेड़ में है। जीवन के बिना पेड़ की कल्पना मुश्किल है। हम पेड़ों को अपने परिवार का हिस्सा मानकर उनकी नियमित देखभाल करेंगे, तो हम पेड़ों को संरक्षित कर सकते हैं।