UP में बिछनी शुरू होगी नई रेल लाइन, पहले चरण का शुरू होगा काम, 67 पुल बनेंगे
UP News : उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित इस रेल लाइन की राह आसान हो जाएगी। नई रेल लाइन बिछने से कई जिलों को फायदा होगा। किसानों को इसका अच्छा खासा मुआवजा मिल रहा है। आने वाले दिनों में इलाके में रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे।

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश की जनता को बड़ी सौगात मिली है। उत्तर प्रदेश में आनंदनगर-घुघली नई रेलवे लाइन परियोजना के तहत 57 गांवों से होकर नई रेल लाइन गुजरेगी। जिसके बाद आसपास की तस्वीर भी बदलने वाली है। इस नई रेल लाइन का मुआवजा वितरण किया जा रहा है। वर्तमान में दो अरब से अधिक मुआवजा वितरण नहीं हुआ है। करीब 51 प्रतिशत मुआवजा अब तक वितरण हो चुका है।
कहीं-कहीं अवरोध की वजह से समस्या हो रही है। प्रस्तावित 100 हेक्टेयर भूमि के लिए एवार्डेड रकम चार अरब से अधिक घोषित हो चुकी है। पहले चरण में घुघली से महराजगंज तक काम शुरू होगा। जानकारी के अनुसार नई रेल लाइन परियोजना के तहत आनंदनगर से महराजगंज होते हुए घुघली तक कुल 52.70 किमी लंबी रेल लाइन बिछाई जाएगी। इस रेल लाइन के निर्माण में छोटे-बड़े कुल 67 पुलों का भी निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। इसमें प्रथम चरण में भूमि अधिग्रहण के लिए सदर तहसील के 29 गांवों की भूमि अधिग्रहित की गई है। इसके बदले प्रभावित 3,897 किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया जारी है।
इस अधिग्रहण में 698 गाटे प्रभावित हो रहे हैं। इसके स्वामियों को मुआवजा प्रदान किया जा रहा है, लेकिन शहर से सटे महुअवा, तरकुलवा और पिपरदेउरा गांव में भूमि अधिग्रहण के बदले कुछ किसानों को मुआवजा मिल चुका है। अधिकांश किसानों ने अभी तक मुआवजा नहीं लिया है।
अशोक पटेल और विनय मिश्रा ने बताया कि बाजार भाव के अनुसार अपनी जमीन खरीदी है। उस हिसाब से बहुत कम मुआवजा दिया जा रहा है। अब तक मुआवजा राशि प्राप्त करने के लिए भूमि अध्याप्ति विभाग में कोई आवश्यक कागजी कार्रवाई भी नहीं की गई। उनका कहना है कि जब तक उन्हें उचित दर पर मुआवजा नहीं मिलेगा। वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
अधिकारियों का कहना है कि महुअवा, तरकुलवा और पिपरदेउरा गांव के करीब 55 किसानों ने मुआवजा दर को लेकर आपत्ति जताई है। इस संबंध में किसानों का कहना है कि उन्हें शहर के बाजार भाव के अनुसार मुआवजा मिलना चाहिए। वर्तमान में प्रस्तावित दर अपेक्षाकृत काफी कम है।
रेलवे और भूमि अध्याप्ति विभाग के अधिकारी इस समस्या के समाधान के लिए किसानों से लगातार बातचीत कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि वे किसानों की आपत्तियों को गंभीरता से ले रहे हैं और उनके मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।