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अब गेहूं देगा 35 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार, यह किस्म किसानों को करेगी मालामाल!

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osses for years, but it will be a thing of the past. Farmers are going to be benefited.

The Chopal - आप वर्षों से खेती घाटे का सौदा सुनते आ रहे हैं, लेकिन यह अब अतीत की बात होगी। किसानों को फायदा होने वाला है। अन्नदाता को धन मिलने वाला है। भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने असंभव को संभव बनाया है। गेहूं की एक किस्म ने किसानों की किस्मत बदल दी है।

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ये गेहूं की जातियां किसानों का जीवन बदल देंगी

भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने गेहूं की पांच नई किस्में बनाई हैं। भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल ने गेहूं की नई किस्मों को विकसित करने के लिए एक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया है। ये पुरस्कार नई दिल्ली में केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने दिए हैं। संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि डीबीडब्ल्यू 327 गेहूं की नई किस्म से किसानों का जीवन बदल जाएगा। प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल उत्पादन होगा। अगर ऐसा होता है, तो किसानों के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपहार होगा। अन्नदाता का बुरा समय खत्म होने वाला है। संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने गेहूं की नवीनतम किस्म DBW 327 को विकसित किया है, जो फसल विज्ञान तकनीक में सर्वश्रेष्ठ है। बीमारी बिल्कुल नहीं फैलती और 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है। वर्तमान में एक एकड़ में 15 से 20 क्विंटल गेहूं की पैदावार होती है, लेकिन नई प्रजातियों से किसान 30 से 35 क्विंटल गेहूं उत्पादित कर सकते हैं।

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उत्तरी भारत के किसानों को लाभ मिलेगा

संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि विपरीत मौसम भी गेहूं की नवीन किस्म DBW 327 पर असर नहीं डालता। उसमें इस गेहूं की किस्म की पैदावार कम नहीं होती अगर बारिश कम होती है, धूप अधिक होती है या ठंड कम होती है। वहीं, इस बीज के लिए अनुकूल जमीन के कारण अधिकांश किसानों को हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में लाभ होगा। हम किसानों को ये बीज देंगे, जिसका काफी ज्यादा लाभ होगा।

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वैज्ञानिक कार्यों का सम्मान

नई दिल्ली में, केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों को उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया। साथ ही, बीज वितरण के लिए सीड पोर्टल भी अनावरण किया गया। कम्पनी ने गेहूं की नई मशीन बनाई।इस मशीन का व्यवसायीकरण भी अनुमोदित है। राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने गेहूं की नई किस्म सहित चार अन्य तकनीकों का विकास करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया है। केंद्रीय डेयरी एवं पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने संस्थान के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह को यह पुरस्कार नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में दिया।

पोर्टल की खोज

इसके अलावा, अन्य तकनीकों, जंगली पालक, फसल विविधीकरण और गेहूं की बिजाई मशीन में बीमारी प्रतिरोधकता की पहचान और प्रबंधन शामिल थे। केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर कार्यक्रम में सीड पोर्टल का उद्घाटन किया, जो पिछले तीन वर्षों में 40 हजार से अधिक किसानों को ऑनलाइन बीज उपलब्ध कराया है। डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि इस वर्ष पांच नई प्रजातियों (DVW 370, 371, 372, 316 और DVW 55) को लाइसेंसिंग के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। निदेशक ने कहा कि गेहूं के तीसरे अनुमान के अनुसार देश में गेहूं का कुल उत्पादन 12 मिलियन टन से अधिक रहा है, जो एक रिकॉर्ड है।