The Chopal

Property Act : विरासत की प्रॉपर्टी और पुश्तैनी संपत्ति में क्या है अंतर, अधिकतर लोगों को नहीं सही पता

Property Act : सभी को संपत्ति के नियमों का पता नहीं है।  विरासत में मिली संपत्ति की तुलना में पुश्तैनी संपत्ति अक्सर सवाल उठाती है।  लोग पैतृक संपत्ति और विरासत में मिली संपत्ति को एक ही तरह से देखते हैं।  खबर में पुश्तैनी संपत्ति और विरासत में मिली संपत्ति के बीच अंतर बताया गया है।

   Follow Us On   follow Us on
Property Act : विरासत की प्रॉपर्टी और पुश्तैनी संपत्ति में क्या है अंतर, अधिकतर लोगों को नहीं सही पता 

The Chopal, Property Act : अक्सर लोग संपत्ति पर अपने हक को लेकर नियमों को नहीं जानते।  यह बेहद महत्वपूर्ण है कि संपत्ति से जुड़े कानूनों और अधिकारों का पूरा ज्ञान हो।  विरासत में मिली संपत्ति (inherited property) और पैतृक संपत्ति को लोगों ने एक ही तरह से समझा होगा।

उन्हें लगता है कि दादा-परदादा से संपत्ति विरासत में मिली है।  लेकिन बहुत कम लोग इनके बीच काफी फर्क जानते हैं।  आपके पिता के परिवार से ही पैतृक संपत्ति मिल सकती है।  जबकि आपकी माता के घर से मिली संपत्ति भी विरासत में मिल सकती है।

आपको मामा, भाई या दादी से भी संपत्ति विरासत में मिल सकती है।  यह संपत्ति तब मिलती है जब मालिक मर जाता है।  पैतृक संपत्ति (Property Knowledge) भी इसी का हिस्सा है, लेकिन आपको अपने पिता, दादा या परदादा से ही मिलती है। 

सीधे शब्दों में, परिवार का कोई भी सदस्य आपको विरासत में संपत्ति दे सकता है, लेकिन पापा-दादा ही आपको विरासत में संपत्ति देंगे।  आप जन्म लेते ही पैतृक संपत्ति पर अधिकार पाते हैं।

पैतृक संपत्ति को छोड़ सकते हैं

अगर कुछ अपवादों को छोड़ दें तो कोई व्यक्ति अपनी पैतृक संपत्ति से मुक्त नहीं हो सकता।  उसे उसके पिता या माता केवल अपनी कमाई हुई संपत्ति से निकाल सकते हैं।  कुछ मामलों में, कोर्ट ने माता-पिता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बच्चे को भी पैतृक संपत्ति से बेदखल करने की अनुमति दी है, जिसे ancestral property rules कहा जाता है। 
 इसमें कानूनी मुद्दे बहुत हैं।  बेदखल व्यक्ति आम तौर पर अपनी पुश्तैनी या पैतृक संपत्ति पर दावा कर सकता है।  पुश्तैनी संपत्ति पर दावा करने के लिए बारह साल का समय मिलता है।  स्थिति को देखते हुए 12 साल बाद भी कोर्ट दावा करने की अनुमति दे सकता है।

पुश्तैनी संपत्ति पर चार पीढ़ियों का हक

अगली चार पीढ़ियों को पुश्तैनी संपत्ति का अधिकार है।  परदादा के पिता की संपत्ति पर दादा, पिता, दादा और फिर बेटे का अधिकार है।  गलती से पुश्तैनी संपत्ति का दर्जा खत्म हो सकता है।  अविभाजित पैतृक संपत्ति का दर्जा रहता है। 

जब चार पीढ़ियों में से किसी ने भी संपत्ति को बाँट दिया, तो इसे पैतृक संपत्ति का दर्जा दिया जाएगा।  इसके बाद, कोई व्यक्ति पुश्तैनी संपत्ति पर हक का दावा नहीं कर सकता।