MP में भरपूर कमाई करवाएगी बकरी की यह नस्ले, मिलेगी गाय भैंस से ज्यादा इनकम
Agriculture News : ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन न केवल परंपरागत आजीविका का हिस्सा है, बल्कि यह अब एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में भी उभर रहा है। खासकर जब सही नस्लों का चयन किया जाए। इससे दुगुना लाभ कमाया जा सकता है। एक ओर दूध व मांस का उत्पादन, तो दूसरी ओर नस्ल सुधार व व्यापार का अवसर।

Agriculture News : बकरी की इन नस्लों को पालने से दूध और मांस उत्पादन दोनों में लाभ मिलता है। इनकी संतानें भी बाजार में अच्छे दाम पर बिकती हैं। सरकारी योजनाओं और पशुपालन विभाग की मदद से प्रशिक्षण लेकर इन नस्लों के पालन को व्यावसायिक रूप भी दिया जा सकता है। आज हम इस राज्य के किसानों को एक ऐसी नस्ल की बकरी के बारे में बताएंगे, जिसके दूध से लेकर मांस तक की मार्केट में बहुत अधिक डिमांड है। ऐसे में अगर किसान इस नस्ल की बकरी का पालन करते हैं, तो उन्हें पहले के मुकाबले ज्यादा कमाई होगी।
संगमनेरी बकरी
इस नस्ल की बकरी को बाल से पहचाना जा सकता है। इसके बाल छोटे औस सीधे होते हैं। जबकि, कान लंबे होने के चलते नीचे की ओर झुके होते हैं। इसके शरीर पर भूरे और काले धब्बे होते हैं। इसका इसका रंग सफेद और भूरा होता है। साथ ही इसके सींग पीछे की ओर मुड़े होते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि नर बकरी का वजन 40 से 60 किलो के बीच होता है, जबकि मादा बकरी वजन 42 किलो तक हो सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह 14 महीने के अंतराल पर ही गर्भ धारण कर लेती है।
इस नस्ल की बकरी महाराष्ट्र के पुणे, नासिक, सोलापुर और धुले इलाके में बड़े पैमाने पर इसका पालन किया जाता है। वहीं पंजाब-हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार के अलावा मध्य प्रदेश में भी यह पाई जाती है। इसका दूध दवा बनाने के काम आता है, साथ ही इसका मांस भी गुणकारी होता है, इसलिए बाजार में इनकी मांग अधिक रहती है। इसी वजह से संगमनेरी बकरियों की कीमत भी अधिक होती है।
बेरारी नस्ल
मध्य प्रदेश के निमाड़ जिले में बेरारी नस्ल की बकरी का पालन बड़े पैमाने पर किया जाता है। यह बकरी एक भारतीय बकरी की नस्ल है जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में पाई जाती है। यह एक मांस देने वाली नस्ल है, जिसे स्थानीय किसान मुख्य रूप से मांस के लिए पालते हैं। बेरारी बकरियों का रंग हल्का से गहरा भूरा होता है।
बकरी की सिरोही नस्ल
बकरी की सिरोही नस्ल मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में पाई जाती है। इसका रंग भूरा होता है और शरीर पर हल्के या भूरे रंग के धब्बे होते हैं। इसके नर बकरे का वजन 50 किलोग्राम और प्रौढ़ बकरी का वजन 40 किलोग्राम होता है। बकरी की यह नस्ल प्रतिदिन औसतन 0.5 किलोग्राम और प्रति ब्यांत में औसतन 65 किलोग्राम दूध देती है। इसे दूध और मांस के लिए पाला जाता है। इसकी 60 प्रतिशत संभावना होती है कि यह नस्ल दो बच्चों को जन्म दे। यह 18 से 24 माह के बीच पहली बार बच्चे को जन्म देती है। सिरोही बकरी की अनुमानित कीमत 12,500 से लेकर 15,000 रुपए तक होती है।
बकरी की जमुनापारी नस्ल
बकरी की जमुनापारी नस्ल मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में पाई जाती है। इसके अलावा यह नस्ल राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश व बिहार में भी पाली जाती है। बकरी की इस नस्ल की खास बात यह है कि यह नस्ल अधिक दूध ओर मांस के लिए जानी जाती है। ऐसे में किसान बकरी की जमुनापारी नस्ल का पालन करके काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस नस्ल की बकरी का रंग सफेद होता है। इसकी पीठ पर लंबे बाल होते हैं और सींग छोटे होते हैं। इस नस्ल की बकरियां अन्य नस्लों की तुलना में ऊंची और लंबी होती हैं। इस नस्ल की बकरी प्रतिदिन औसतन 1.5 से 2 लीटर तक दूध दे सकती है। इसका वजन भी सामान्य बकरियों के मुकाबले अधिक होता है। इसके मांस की बाजार मांग भी काफी है। यदि जमुनापारी नस्ल की बकरी की कीमत की बात की जाए तो इसकी बाजार कीमत करीब 15 से 20 हजार रुपए तक होती है।
बकरी की बीटल नस्ल
बकरी की बीटल नस्ल मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में पाई जाती है। यह नस्ल मांस और डेयरी के लिए पाली जाती है। इस नस्ल की बकरी की टांगे लंबी होती है और कान लटके हुए होते हैं। इसके सींग पीछे की ओर मुड़े होते हैं। इसके पतली पूंछ होती है। इसके नर बकरे का वजन 50 से 60 किलोग्राम तथा मादा बकरी का वजन 35-40 किलोग्राम होता है। इस नस्ल की बकरी प्रतिदिन औसतन 2 से 2.25 किलोग्राम तक दूध देती है। वहीं प्रति ब्यांत में 150 से 190 किलोग्राम दूध का उत्पादन दे सकती है। बीटल नस्ल की बकरी की अनुमानित कीमत 20 हजार रुपए से 25 हजार रुपए तक होती है।
बरबरी बकरी
अगर आप बकरी पालन शुरू करने की सोच रहे हैं तो बरबरी नस्ल की बकरी एक बढ़िया विकल्प हो सकती है। ये बकरी सिर्फ 11 महीने में बच्चे को जन्म दे देती है, जबकि बाकी नस्लों में ये समय 18 से 23 महीने तक होता है। बरबरी बकरी एक बार में 3 से 5 बच्चों को जन्म देने में सक्षम होती है और सबसे खास बात ये है कि ये साल में दो बार बच्चा दे सकती है। यही वजह है कि किसान इस नस्ल को तेजी से अपना रहे हैं।