Property Knowledge : सेल डीड और लीज डीड में क्या फ़र्क है, पढ़िए प्रोपर्टी की कौन सी डीड करवाना अधिक फायदेमंद
Property Knowledge- भूमि या घर खरीदने से पहले कई बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। खरीद या बेचते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए, चाहे संपत्ति कहीं भी हो। यही कारण है कि आज हम आपको लीज डीड और सेल डीड में क्या अंतर है बताने जा रहे हैं. इस खबर में हम इस विषय पर अधिक जानेंगे।

The Chopal, Property Knowledge- भूमि की कीमतें निरंतर बढ़ती जा रही हैं। भूमि की कीमतें बढ़ने के बावजूद लोग इसे खरीदने और बेचने पर काफी जोर दे रहे हैं। इस बढ़ती महंगाई के दौर में खुद का घर या जमीन खरीदना आम नहीं है। यही कारण है कि हमें संपत्ति खरीदने से पहले उसके बारे में बहुत कुछ जानना चाहिए ताकि बाद में कोई परेशानी न हो।
जैसा कि आप सब जानते हैं, संपत्ति का हस्तांतरण कई तरह से हो सकता है। सेल डीड, लीज डीड, गिफ्ट डीड या फिर पावर अटार्नी से घर, मकान, दुकान या प्लॉट खरीद सकते हैं।
सेल डीड की जमीन खरीदने पर आप उसके मालिक बन जाते हैं। वहीं, लीज डीड के माध्यम से संपत्ति खरीदने पर आपको मालिकाना हक केवल एक निश्चित अवधि के लिए मिलता है, यानि संपत्ति की हस्तांतरण नियम। 10 वर्ष या 99 वर्ष।
क्रेता से विक्रेता तक संपत्ति का मालिकाना हक (property ownership) सेल डीड कहलाता है। सेल डीड स्टांप पेपर है। इसमें मालिकाना हक पूरी तरह मिलता है। यह स्थानीय उप-पंजीयक कार्यालय में भी पंजीकृत है। प्रॉपर्टी का दाखिल भी खारिज होता है जब सेल डीड को रजिस्टर किया जाता है।
डीड लीज
लीज डीड भी एक प्रॉपर्टी खरीदने का तरीका है। इसमें संपत्ति कुछ वर्षों से 99 साल तक लीज पर दी जाती है। इस प्रकार की संपत्ति हस्तांतरण में, क्रेता को संपत्ति के सभी अधिकार मिलते हैं, लेकिन ये अधिकार अनिश्चित काल के लिए हैं। लीज डीड पहले बहुत लोकप्रिय था। सरकारें अक्सर लीज वाली संपत्ति को सेल डीड वाली संपत्ति बनाने के लिए प्रस्ताव जारी करती हैं। प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने के लिए प्रति वर्ग फुट या प्रति यार्ड शुल्क देना आवश्यक है।
सेल डीड करना या लीज डीड करना: क्या अंतर है?
किसी भी प्रकार की संपत्ति खरीदने के नियमों के अनुसार, विक्रेता से क्रेता के पास अपना मालिकाना हक देने का सबसे अच्छा तरीका सेल डीड है। तहसील में जमीन खरीदने और बेचने के लिए क्रेता और विक्रेता मिलकर सेल डीड बनाते हैं। यह दोनों पक्षों (विक्रेता-क्रेता) द्वारा किए गए समझौते का कानूनी अभिलेख है। जो संपत्ति का सौदा बताता है। इसमें विक्रेता-क्रेता की पूरी जानकारी, संबंधित जमीन, नक्शा, सबूत और स्टांप शामिल हैं। इसके द्वारा विक्रेता क्रेता को भूमि का अंतिम अधिकार देता है।
सेल डीड रजिस्टर होने पर बिक्री समझौता समाप्त होता है। सेल डीड को पंजीकृत करना अनिवार्य है। सेल डीड पंजीकृत नहीं होने तक खरीदार कानूनन प्रॉपर्टी का सही मालिक नहीं बन सकता है। सेल डीड को पंजीकृत और दाखिल-खारिज करने के बाद खरीदार संपत्ति का स्थायी स्वामी बन जाता है। वहीं, लीज डीड के माध्यम से कोई व्यक्ति सदा के मालिक नहीं बन सकता। उस संपत्ति का उपयोग केवल निर्धारित अवधि के लिए ही किया जा सकता है।