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जमीन का पानी हुआ खारा, किसानों ने बदल लिया खेती का तरीका

किसानों ने इस बार सैकड़ों बीघा में पालक की खेती की है। खास बात यह है कि यहां फसल खारे पानी से तैयारी हो रही है। यह कम खर्चे में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है। इसमें पानी भी कम लगता है।
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जमीन का पानी हुआ खारा, किसानों ने बदल लिया खेती का तरीका

The Chopal : पालक की खेती से आर्थिक उन्नति के रास्ते खुल रहे हैं। नागौर के चौसला, कुणी, लोहराणा, पिपराली सहित आसपास के दर्जनों गांव -ढाणियों में किसानों ने इस बार सैकड़ों बीघा में पालक की खेती की है। खास बात यह है कि यहां फसल खारे पानी से तैयारी हो रही है। यह कम खर्चे में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है। इसमें पानी भी कम लगता है।

लवणीय पानी में अच्छी पैदावार

विश्व विख्यात खारे पानी की सांभर झील इस क्षेत्र में होने के कारण अधिकांश कुओं का पानी खारा है। इस वजह से यहां मीठे पानी की फसलें नहीं होती। लवणीय पानी में पालक की अच्छी पैदावार होती है। प्रगतिशील किसान इसका हर साल अच्छा उत्पादन ले रहे हैं।

सर्दियों का मौसम उपयुक्त

सर्दियों का मौसम पालक की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। किसानों ने बताया, इस मौसम में 20 से 25 दिनों के भीतर पालक उग जाता है, जबकि गर्मियों या बरसात में 40 से 50 दिन का समय लेता हैं। सर्दी में रोग लगने की संभावना भी कम रहती है।

देसी और विलायती किस्में

पालक की मुख्य रूप से दो प्रकार की किस्मों की खेती होती है- देसी और विलायती। अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में जोबनेर ग्रीन, पूसा ज्योति, पूसा हरित, लांग स्टेंडिंग, पंत कंपोजिटी 1, हिसार सलेक्शन 26, पालक नंबर 15-16 आदि उन्नत प्रजातियां हैं।

परम्परागत खेती की तुलना में डबल मुनाफा

कुओं का पानी खारा हो जाने से जौ-गेहूं की फसल की बजाय पालक की पैदावार अच्छी होती है। इसमें परम्परागत खेती की तुलना में डबल मुनाफा हो जाता है।
शिवभगवान भटेसर, किसान

हल्की दोमट मिट्टी सर्वोत्तम

पालक विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, किंतु नमकीन मिट्टी में अच्छी तरह से विकसित होता है। इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी भी सर्वोत्तम होती है। इसमें पानी का निकास अच्छा होता है। सर्दियों में 10-12 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिए। इसमें खरपतवार नियंत्रण की अधिक आवश्यकता होती है। परंपरागत तरीके से निराई -गुड़ाई करें।

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