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Tenant Landlord : अगर किराएदार का प्रोपर्टी पर हो जाए कब्जा,तो मकान मालिक बचने के लिए रेंट एग्रीमेंट नहीं ये डॉक्यूमेंट जरूर बनवाएं

Tenant Landlord : मकान मालिक और किरायेदार के बीच संपत्ति पर कब्ज़े को लेकर विवाद सामान्य हैं, और छोटी-मोटी बातों पर विवाद होना भी आम है, लेकिन कभी-कभी यह विवाद उस संपत्ति पर कब्ज़े को लेकर होता है जिसमें किरायेदार रहते हैं। इससे बचने के लिए मकान मालिकों ने रेंट एग्रीमेंट बनवाना शुरू कर दिया है, लेकिन आज भी कब्ज़े की दावेदारी वाले विवाद बढ़ते जा रहे हैं। इस खबर में हम आपको एक ऐसे दस्तावेज के बारे में बताएंगे, जो किरायेदार की इस दावेदारी को पूरी तरह खारिज कर देगा।

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Tenant Landlord : अगर किराएदार का प्रोपर्टी पर हो जाए कब्जा,तो मकान मालिक बचने के लिए रेंट एग्रीमेंट नहीं ये डॉक्यूमेंट जरूर बनवाएं

The Chopal, Tenant Landlord : अभी तक मकान मालिकों के हितों की रक्षा के लिए किराया या पट्टा समझौता किया जाता था, लेकिन किरायेदारों द्वारा कब्ज़े की कोशिशों के कारण अब संपत्ति मालिक 'लीज एंड लाइसेंस' समझौता अपना रहे हैं। यह किराएनामे के समान है, बस कुछ धाराएं बदल दी जाती हैं। प्रॉपर्टी एक्सपर्ट के अनुसार, लीज एंड लाइसेंस बनाने में कुछ विशेष शर्तों का उल्लेख होता है जो मकान मालिक को अधिक सुरक्षा प्रदान करती हैं, खासकर कब्ज़े के मामलों में कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाती हैं। इससे मकान मालिकों के हितों की बेहतर रक्षा हो पाती है।

यह पूरी तरह मकान मालिक के पक्ष में है। चाहे रेंट या लीज एग्रीमेंट हो या फिर लीज एंड लाइसेंस, इन सभी दस्तावेजों को एकतरफा रूप से मकान मालिक के हितों की रक्षा के लिए बनाया जाता है। ताकि, संपत्ति पर किरायेदार की तरफ से कब्जा किए जाने की संभावनाओं को खत्म किया जा सके। इसमें स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया जाता है कि संपत्ति का स्वामी उसके किरायेदार को नियत समय के लिए रिहाइशी या व्यावसायिक इस्तेमाल करने की अनुमति दे रहा है। यह समय 11 महीनों से लेकर कुछ सालों तक हो सकता है। यदि किरायेदार रिहाइशी इस्तेमाल के लिए संपत्ति ले रहा है, तो उसका व्यावसायिक उपयोग नहीं होगा। एग्रीमेंट आगे न बढ़ाने पर किरायेदार को संपत्ति खाली करनी होगी। लीज एंड लाइसेंस में मकान मालिक को ‘लाइसेंसर’ और किरायेदार को ‘लाइसेंसी’ लिखा जाता है।

दोनों में क्या अंतर है?

रेंट एग्रीमेंट आम तौर पर रिहाइशी इस्तेमाल की संपत्तियों के लिए 11 महीने की अवधि के लिए बनवाया जाता है। वहीं, लीज एग्रीमेंट का उपयोग 12 या उससे अधिक महीने की अवधि के लिए किया जाता है। इसे सामान्यत: कॉमर्शियल प्रॉपर्टीज को किराये पर देने के लिए उपयोग में लाया जाता है। लीज एंड लाइसेंस को 10 से 15 दिन से लेकर 10 साल की अवधि के लिए बनाया जा सकता है। विशेष बात यह है कि इन सभी दस्तावेजों को स्टाम्प पेपर पर नोटरी के माध्यम से ही बनाया जा सकता है।

इसके अलावा, यदि किराये की अवधि 12 साल या उससे अधिक हो, तो उसे कोर्ट से रजिस्टर्ड करवाना आवश्यक है, क्योंकि रियल एस्टेट राज्य सूची का विषय है और विभिन्न प्रांतों में रजिस्ट्रेशन शुल्क किराये का एक से दो प्रतिशत होता है।

दोनों में कौन सा दस्तावेज बेहतर है? लीज एंड लाइसेंस एग्रीमेंट को रेंट एग्रीमेंट से बेहतर माना जाता है क्योंकि यह कम से कम 10-15 दिनों और अधिकतम 10 वर्षों जैसी लंबी अवधि के लिए बनाया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस एग्रीमेंट में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित होता है कि लाइसेंसी (किरायेदार) संपत्ति पर किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं जताएगा और न ही उसकी मांग करेगा। इस प्रावधान के कारण, संपत्ति का स्वामित्व मकान मालिक के पास ही बना रहता है, भले ही वह कुछ समय के लिए किरायेदार के कब्जे में हो।

इसमें एक और अच्छी बात यह है कि जब दो पक्ष आपसी सहमति से रेंट या लीज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करते हैं और उनमें से किसी एक की मृत्यु हो जाती है, तो उन परिस्थितियों में उसके उत्तराधिकारी यानी वारिस आपसी सहमति से उस एग्रीमेंट को जारी रख सकते हैं। वहीं, लीज एंड लाइसेंस में ऐसा नहीं है। किसी की मृत्यु होने पर यह शून्य हो जाता है।

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