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UP में आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती में इन लोगों को प्राथमिकता, जुगाड़ का टाइम अब गया

UP News : उत्तर प्रदेश में आउटसोर्स भर्ती पर नए नियम लागू होने वाले हैं। भर्ती के लिए एक नया संगठन बनाया जा रहा है। इसके लिए भी प्राथमिकताओं का निर्धारण किया जा रहा है। इससे अब भर्ती नहीं होगी।

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UP में आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती में इन लोगों को प्राथमिकता, जुगाड़ का टाइम अब गया 

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश सरकार आउटसोर्सिंग के माध्यम से होने वाली भर्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए 'उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम' नामक एक नए निगम की स्थापना कर रही है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भर्ती प्रक्रिया में होने वाली अनियमितताओं और शोषण को समाप्त करना है। यूपी में आउटसोर्स कर्मचारियों को रखने के नाम पर अब बहस नहीं होगी। 

भर्तियों में गड़बड़ी और शोषण

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आउटर्सोसिंग ने निगम बनाने का लक्ष्य रखा है ताकि भर्तियों में गड़बड़ी और शोषण को रोका जा सके। उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम बन रहा है।  नौकरी के मानक भी निर्धारित किए गए हैं। अब अभ्यर्थियों का चयन पारिवारिक आय, आयु, योग्यता, पद के मानक और स्थान के आधार पर किया जाएगा। भर्ती के लिए कोई साक्षात्कार नहीं लिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अभ्यर्थियों की सूची सबसे ऊपर होगी, जिनकी निम्न पारिवारिक आय होगी।

आयु सीमा को पहली प्राथमिकता

उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम में भर्ती के लिए आयु सीमा को पहली प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही विधवा, तलाकशुदा और परित्यक्ता महिलाओं को उच्च दर्जा मिलेगा।  इसे भर्ती के लिए बनाए गए मानक में शामिल किया गया है। वर्तमान में आउटसोर्स पर होने वाली भर्तियों में अनियमितता देखने को मिलती है। विभागीय अधिकारी मनमाने तरीके से अपने चहेतों को रखवा लेते हैं। कुछ संस्थानों केवल कागजों पर कर्मचारियों को रखते हैं, जिन्हें हर महीने भुगतान दिया जाता है।

संबंधित विभाग आउटसोर्स कर्मचारियों की सूची निगम को भेजेगा। निगम प्लसमेंट, इंफारमेशन लेटर और आईडी कार्ड को विभाग को देगा। निगम पुराने कर्मचारियों को हस्तातंरित करेगा, ताकि वे एजेंसियों के स्थान पर वहां से चुने जा सकें।

आउटसोर्स कर्मियों को उनके पद और योग्यता के अनुरूप मानदेय मिलेगा। न्यूनतम वेतन श्रेणी एक के कर्मचारियों को 25000, श्रेणी दो को 21500, श्रेणी तीन को 18500 और श्रेणी चार के कर्मचारियों को 15000 रुपये दिया जाएगा। ऐसी व्यवस्था होगी कि इन कर्मचारियों को प्रत्येक महीने की एक तिथि को सीधे पैसा मिलेगा। ऐसे कार्मिकों को अभी समय से पुरस्कार नहीं मिलता है।  कुछ संस्थानों में तो इन्हें तीन से चार महीने में भुगतान किया जाता है।