UP और उत्तराखंड लोगों को 49 साल बाद इस परियोजना की मिली मंजूरी, इन जिलों को मिलेगा फायदा
UP News : प्रदेश और उत्तराखंड के कई जिलों की रूपरेखा अब बदलने वाली है। इन जिलों के लिए 49 साल बाद बड़ी खुशखबरी मिलने वाली है। दोनों राज्यों की तस्वीर 3700 करोड रुपए में बदलने वाली है। इस परियोजना को लेकर पिछले 5 दशकों से लोग इंतजार कर रहे हैं।
Jamrani Dam Project : उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चार जिलों को लेकर बड़ी खुशखबरी वाली खबर सामने आई है। इस परियोजना से इन दो राज्यों के चार जिलों की तकदीर ही बदलने वाली है। इस परियोजना को लेकर 49 साल से शुरू होने की राह देख रहे हैं। परियोजना से कई बड़े इलाकों में पेय जल और सिंचाई व्यवस्था सुधारने वाली है। इस परियोजना को 5 दशकों बाद स्वीकृति मिल चुकी है।
3700 करोड़ रुपये की परियोजना पलटेगी जिलों की तकदीर
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चार जिलों के लोगों के लिए 49 साल बाद बड़ी राहत वाली खबर आई हैं। इन जिलों में जल विद्युत परियोजना का प्रारंभ होने का अनुमान लगाया गया था। इस 3700 करोड़ रुपये की परियोजना से दोनों राज्यों के चार जिलों की स्थिति बदल जाएगी। यहां भारी क्रेन मशीनें सितंबर के आखिरी हफ्ते में पहुंच गई हैं। इस बांध के बनने से रामपुर और बरेली में जल की कमी दूर होगी। नैनीताल और हल्द्वानी भी उत्तराखंड में जल संकट से बच जाएंगे।पिछले पांच दशक से, कुमाऊं मंडल की जमरानी बांध परियोजना कई कारणों से अटक गई है। कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कहा कि इस परियोजना से बड़े क्षेत्रों को पेयजल और सिंचाई मिलेगी।
57065 हेक्टेयर जमीन पर होगी सिंचाई
इस परियोजना से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 2-2 जिलों में 57065 हेक्टेयर जमीन सिंचाई की जा सकेगी। यूपी के रामपुर और बरेली जिलों में 47607 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई मिलेगी। नैनीताल और ऊधम सिंह नगर जिलों में 9458 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित हो सकेगी। Jamarani Dam परियोजना से हल्द्वानी को 117 MLD पेयजल मिलेगा। इससे हल्द्वानी और काठगोदाम में जल संकट दूर होगा।
मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू
बांध प्रभावितों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जमरानी बांध परियोजना का पहला चरण सितंबर के अंत से तेजी से पूरा होने वाला है। ये परियोजनाएं 2029 से 2030 तक 3700 करोड़ रुपये से पूरी की जाएंगी। ऊधम सिंह नगर का टाउनशिप जमरानी बांध प्रभावितों के पुनर्वास के लिए बनाया जा रहा है। यहां बांध प्रभावितों को स्थानांतरित किया जाएगा। बांध के लिए संपर्क मार्ग प्राथिमकता प्राप्त करेगा। गोला नदी में बरसात में पर्याप्त पानी के लिए दो ऑफर डैम और टनल बनाए जाएंगे। डूब क्षेत्र में छह गांव की पाँच सौ हेक्टेयर जमीन डूब जाएगी, जिससे 1260 से अधिक परिवार विस्थापित होंगे।