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इस फसल से ₹70 में मिलेगा 1500 रुपए का मुनाफा, खेती के लिए अपनाएं ये तरीका

Bihar Agriculture Profit : बिहार का बांका जिला जंगली और पहाड़ी है। यहां बहुत अधिक बंजर जमीन है। इन क्षेत्रों में खेती करना किसानों के लिए मुश्किल काम है। लेकिन किसान मुनिया मुर्मू ने बताया कि वे 2001 से खेती कर रहे हैं। शुरुआत में धान, गेहूं और अरहर की खेती की जाती थी। लेकिन 2005 से खेती की प्रणाली ने आजीविका प्रदान से प्रशिक्षण लिया। इसके बाद वे विभिन्न सब्जियों को बोने लगे। चलिए जानते है, इनके बारे में...
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इस फसल से ₹70 में मिलेगा 1500 रुपए का मुनाफा, खेती के लिए अपनाएं ये तरीका

The Chopal, Bihar Agriculture News : बिहार का बांका जिला जंगली और पहाड़ी है। यहां बहुत अधिक बंजर जमीन है। इन क्षेत्रों में खेती करना किसानों के लिए मुश्किल काम है। यहां के किसानों ने जीवटता का परिचय देते हुए बंजर भूमि को भी खेती योग्य बनाया। कृषि कार्य में पुरुषों की तरह महिलाएं भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। खासकर आदिवासी लोग कृषि पर निर्भर हैं।

बांका जिले का कटोरिया प्रखंड भी जंगली और पहाड़ी है। यहां कहीं, आदिवासी समुदाय की महिलाएं अपनी मेहनत से एक अलग पहचान बना रही हैं। इनाराबरण में रहने वाली मुनिया मुर्मू उनमें से एक है, जो पारंपरिक खेती को छोड़कर सब्जी की खेती करने लगी है। इससे भी अच्छी कमाई कर रहे हैं।

शिमला मिर्च की खेती मुनिया मुर्मू ने पहली बार की है।

किसान मुनिया मुर्मू ने बताया कि वे 2001 से खेती कर रहे हैं। शुरुआत में धान, गेहूं और अरहर की खेती की जाती थी। लेकिन 2005 से खेती की प्रणाली ने आजीविका प्रदान से प्रशिक्षण लिया। प्रधान संस्था की मदद से पहले 40 x 40 फीट का पॉलीहाउस बनाया। इसके बाद वे विभिन्न सब्जियों को बोने लगे।

500 पौधे इस बार शिमला मिर्च की खेती में लगाए गए हैं। उनका कहना था कि पॉली हाउस में पौधे लगाने से पहले नर्सरी में बीज बनाना होगा। जिसमें 7 से 9 दिन लगते हैं।मल्चिंग बेड उस पर बिछाने के बाद पॉली हाउस में मेढ़ बनाया जाता है। ग्लास की मदद से मल्चिंग बेड पर 15 सेंटीमीटर की दूरी पर छेद किया जाता है। एक पौधा प्रत्येक छेद में जैविक खाद के साथ लगाया जाता है।

शिमला मिर्च की खेती पोली हाउस में मल्चिंग विधि से

किसान मुनिया मुर्मू ने बताया कि पौधे को दिन में दो बार ड्रिप विधि से सिंचाया जाता है। इस प्रक्रिया से पौधे में बूंद-बूंद पानी जाता है। इसके लिए लगभग एक हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। शिमला मिर्च का पौधा 45 से 70 दिन में तैयार हो जाता है। इसके बाद इसमें फूल आने लगते हैं। फूल आने पर इसमें जैविक अमृत मिलता है। पूरी तरह से सुरक्षित है। फल आने पर पौधे टूटने का डर नहीं रहता, इसलिए प्रत्येक पौधे को पतली रस्सी से बांध दिया जाता है।

एक पौधे पर 70 रुपये खर्च कर 1500 रुपये कमा सकते हैं

किसान मुनिया मुर्मू ने बताया कि शिमला मिर्च की बड़ी मांग है। सीजन में एक पौधे से 20 से 25 किलो शिमला मिर्च मिलता है। एक पौधा बनाने में 60 से 70 रुपए खर्च आते हैं। 70 रुपए प्रति किलो तक आसानी से बिकता है। उनका कहना था कि एक पौधा 70 रुपए खर्च कर 1500 रुपए तक कमाई कर सकता है। किस शिमला मिर्च के पौधे इस बार लगाए गए हैं? इस सीज़न में 5 लाख आसानी से मिल जाएंगे।