The Chopal

Income Tax Notice: प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री पर इस लिमिट से ज्यादा नहीं ले सकते कैश, अन्यथा आएगा नोटिस

   Follow Us On   follow Us on
Income Tax Notice: प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री पर इस लिमिट से ज्यादा नहीं ले सकते कैश, अन्यथा आएगा नोटिस

Income Tax Notice: अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने जा रहे हैं, तो पैसों के लेन-देन से जुड़े नियम ज़रूर जान लें। खासकर नकद में लेन-देन करने की एक तय सीमा होती है। अगर आप इस सीमा से ज़्यादा नकद में लेन-देन करते हैं, तो बाद में आपको परेशानी हो सकती है। अक्सर प्रॉपर्टी के सौदे में एक पक्ष नकद में भुगतान करने का सुझाव देता है, और दूसरा पक्ष इसे मान भी लेता है। लेकिन ऐसा करना नियमों के खिलाफ हो सकता है। सरकार ने नकद लेन-देन की एक सीमा तय की है, जिसे पार करने पर जुर्माना लग सकता है या कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

इसलिए ज़रूरी है कि आप किसी भी डील से पहले ये जानकारी ले लें कि कितनी राशि तक नकद भुगतान करना या लेना सही है। नियमों का पालन करने से आप भविष्य में होने वाली कानूनी दिक्कतों से बच सकते हैं।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि प्रॉपर्टी की डील में नकद (कैश) में लेन-देन की क्या सीमा है और अगर आप इस नियम का पालन नहीं करते हैं तो किन मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

कैश लेन-देन की सीमा कितनी है?

आयकर कानून की धारा 269SS, 269T, 271D और 271E में साल 2015 में बदलाव किए गए थे। इसके बाद प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने में नकद लेन-देन की सीमा ₹19,999 तय की गई। अगर आप इससे ज़्यादा कैश में लेन-देन करते हैं, तो आपको इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिल सकता है। यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि बड़े कैश ट्रांजेक्शन पर रोक लग सके और सब कुछ पारदर्शी हो।

एक उदाहरण से समझिए

मान लीजिए आपने कोई ज़मीन ₹1 लाख में बेची और यह पूरी रकम आपने नकद में ली। ऐसे में इनकम टैक्स की धारा 269SS के तहत आप पर जुर्माना लग सकता है। आपको पूरी रकम यानी ₹1 लाख पेनल्टी के रूप में चुकानी पड़ सकती है।

धारा 269T के तहत और जुर्माना लग सकता है

अगर किसी कारण से डील कैंसिल हो जाती है, तो आपको सामने वाले को ₹20,000 तक ही कैश में वापस करना है। अगर आपने इससे ज़्यादा की रकम नकद में वापस दी, तो फिर से धारा 269SS के तहत जुर्माना लग सकता है।

इनकम टैक्स को कैसे पता चलेगा?

आप सोच सकते हैं कि जब सब कुछ नकद में हो रहा है, तो इनकम टैक्स को पता कैसे चलेगा? इसका जवाब है रजिस्ट्री। प्रॉपर्टी खरीदते समय उसकी रजिस्ट्री करानी होती है। रजिस्ट्री के दौरान आपने पेमेंट कैसे किया, इसकी जानकारी जाती है। इसी से इनकम टैक्स को जानकारी मिलती है।