महंगाई पर मोदी सरकार का बड़ा एक्शन, अब गेहूं व आटे के मूल्यों में आएगी भारी कमी
THE CHOPAL - भारत की केंद्र सरकार ने मंगलवार को गेहूं और आटे की खुदरा मूल्यों को कम करने के लिए अब खुले बाजार में अतिरिक्त 20 लाख टन तक गेहूं की बिक्री की घोषणा भी की हैं। इसके साथ ही सरकार ने अनाज के थोक कीमतों में नरमी आने के साथ आटा मिलों को दरों में कमी करने को कहा हैं। आपको बता दे की केंद्र सरकार ने 25FEB. को गेहूं और गेहूं के आटे के मूल्यों पर काबू पाने के लिए अपने बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं को खुले बाजार में बेचने की घोषणा भी की थी।
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क्या कहा सरकार ने -
आधिकारिक बयान के अनुसार सरकार ने यह फैसला लिया है कि FCI (भारतीय खाद्य निगम) ने खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के माध्यम अब 20 लाख टन तक अतिरिक्त गेहूं खुले बाजार में लायेगा। यह स्टॉक ई-नीलामी के तहत यह आटा मिलों/निजी व्यापारियों/थोक खरीदारों/गेहूं उत्पादों के निर्माताओं को बेचने के लिए होगा।आधिकारिक बयान के मुताबिक अब तक 50 लाख टन गेहूं को खुला बाजार बिक्री योजना के माध्यम से बेचने का फैसला किया गया है। 20 लाख टन गेहूं की अतिरिक्त बिक्री के साथ अब आरक्षित कीमत में कमी करने जैसे फैसले से उपभोक्ताओं के लिए अब गेहूं और गेहूं से बने उत्पादों के बाजार कीमतों में कमी लाने में मदद भी मिलेगी।
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ऑनलाइन बैठक की गई:
आप को बता दें कि केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने ई-नीलामी के दूसरे दौर में स्टॉक के उठाव की समीक्षा करने के लिए FCI(एफसीआई) तथा महासंघों / विभिन्न संघों / आटा मिलों / सूजी उत्पाद निर्माताओं के प्रतिनिधियों के साथ एक ऑनलाइन बैठक भी की। बयान के अनुसार कहा गया की आटा मिलों को अब गेहूं के बाजार कीमत में कमी के अनुरूप आटा और अन्य उत्पादों के मूल्यों में कमी लाने की सलाह भी दी गई है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार ओएमएसएस नीति की घोषणा के बाद गेहूं और आटे के रेट कम भी हुए , लेकिन JAN., 2023 में महंगाई का आंकड़ा तीन महीने के उच्चतम स्तर 6.52 % पर बना हुआ था।
क्या है औसत कीमत -
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक , सोमवार को प्रमुख शहरों में गेहूं का औसत मूल्य 33.15 रुपये प्रति KG था , जबकि आटे का औसत मूल्य 37.63 रुपये प्रति किलोग्राम था। पिछले महीने सरकार ने ओएमएसएस के माध्यम से अपने बफर स्टॉक से खुले बाजार में 30 लाख टन तक गेहूं बेचने की योजना की घोषणा की थी। सरकार के इस कदम से गेहूं व गेहूं से बने उत्पादों के मूल्यों में कमी देखने को मिलेगी।
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