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property rights : नॉमिनी और उत्तराधिकारी में कौन होता है प्रोपर्टी का असली मालिक, जानिये अपने अधिकार

नॉमनी और उत्तराधिकारी बहुत अलग हैं। नॉमिनी को एक विशिष्ट लक्ष्य के लिए नामित किया जाता है। वहीं, उत्तराधिकारी अक्सर व्यक्ति की पत्नी या संतान होती है।आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।

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property rights : नॉमिनी और उत्तराधिकारी में कौन होता है प्रोपर्टी का असली मालिक, जानिये अपने अधिकार 

The Chopal News : हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से कहा कि वे खातों में नॉमिनी का नाम लिखें। बैंकों में नॉमिनी नहीं होने के कारण करोड़ों रुपये लावारिस पड़े हुए हैं। दरअसल, खाताधारक की मौत पर धन नॉमिनी को भेजा जाता है। ऐसे में एक सवाल उठता है कि क्या खाताधारक की मौत के बाद नॉमिनी ही उनकी संपत्ति का अधिकारी है? अगर ऐसा है तो वारिस या उत्तराधिकारी कौन होते हैं?

आज हम सिर्फ उत्तराधिकारी और नॉमिनी के अंतर पर चर्चा करेंगे। नोमिनी बनाया जाता है किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए। किसी को भी यह बनाया जा सकता है। उत्तराधिकारी आम तौर पर वंश या परिवार के सदस्य ही होते हैं, लेकिन कोई व्यक्ति चाहे तो अपनी मर्जी से अपना उत्तराधिकारी किसी अन्य व्यक्ति को बना सकता है। नॉमिनी का नाम नहीं होने पर बैंक खुद-ब-खुद किसी को नॉमिनी नहीं घोषित कर सकता है; यह दोनों में मुख्य अंतर है। हालाँकि, अगर कोई अपना उत्तराधिकारी नहीं चुका है, तो उसके बच्चे, पत्नी या मां उसकी संपत्ति को संभाल सकते हैं।

और क्या अंतर है?

जैसा कि पहले बताया गया है, नॉमिनी एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए बनाए जाते हैं और उन्हें उस उद्देश्य के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं मिलता। यदि कोई व्यक्ति किसी को बैंक खाते का नॉमिनी बनाता है, तो उसकी मौत के बाद केवल बैंक खाते के लेनदेन या उस पैसे पर उस नॉमिनी का हक होगा। नॉमिनी को बाकी संपत्ति पर कोई हक नहीं होगा। हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956 में उत्तराधिकारी का उल्लेख है। मृत व्यक्ति की सारी संपत्ति उसके उत्तराधिकारी को वैध रूप से दी जाती है।

एक से अधिक पिता

मृत खाताधारक के उत्तराधिकारियों को उसकी संपत्ति बराबर दी जाती है अगर नॉमिनी नहीं है। ये पैसे सभी उत्तराधिकारियों में बराबर बांटे जाएंगे, भले ही कोई पहले से निर्धारित उत्तराधिकारी हो। उत्तराधिकारी दो प्रकार के होते हैं। क्लास 1 और क्लास 2 के शिक्षक Клас 1 के उत्तराधिकारियों में मां, विधवा, पत्नी और बेटा-बेटी शामिल हैं। पिता दोवीं क्लास के उत्तराधिकारी हैं। वर्ग 1 के उत्तराधिकारियों को किसी व्यक्ति की संपत्ति पर पहला अधिकार होता है।