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मानसून पर अल नीनो फैक्टर के बाद से महंगाई में तेजी के संकेत, किसानों के बाद चिंता में सरकार

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The Chopal, नई दिल्ली: इन दिनों भले खुदरा महंगाई दर घटकर 18 महीने के निचले लेवल 4.70 % पर घटकर आ भी चुकी हो, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई से आगाह करने हुए फिर बड़ी चेतावनी दी है. RBI गवर्नर ने कहा कि महंगाई के खिलाफ जंग अभी समाप्त नहीं हुआ है और सेंट्रल बैंक अल नीनो फैक्टर पर नजर बनाये हुए क्योंकि इसका असर महंगाई पर पड़ सकता है. 

गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगे कहा, मौजूदा हालात बहुत ही गतिशील भी है और महंगाई के खिलाफ युद्ध अभी खत्म भी नहीं हुआ है. ऐसे में हमें सतर्क रहने की जरुरत भी है. आत्मसंतोष का कोई कारण नहीं है, हमें यह देखना होगा कि अल नीनो फैक्टर जिसकी आशंका जाहिर की जा रही है वो किस प्रकार अपना असर दिखाता है. 

देश के मौसम विभाग ने इस वर्ष मानसून में सामान्य बारिश का अनुमान भी जताया है. लेकिन कई रिसर्च रिपोर्ट्स का मानना भी है कि इस वर्ष अल नीनो के असर के चलते सूखे जैसे हालात भी पैदा हो सकते हैं जिससे खाद्यान्न उत्पादन में कमी आ सकती है. अमेरिका से जुड़ी संस्था एमओएए  (National Oceanic and Atmospheric Administration) ने जून से दिसंबर 2023 के बीच अल नीनो के आने की संभावना भी भारत में जताई है. इससे भारत में मानसून पर असर पड़ सकता है. 

वित्त मंत्रालय ने पीछे जनवरी महीने के लिए जो मंथली इकोनॉमिक रिव्यू जारी किया था उसमें भी मौसम से जुड़ी जानकारी देने वाली एजेंसियों की भविष्यवाणी के हवाले आशंका भी जाहिर की गई थी कि भारत में अल नीनो जैसे हालात देखने को मिल सकते हैं. अगर ये भविष्यवाणी सच साबित हुई तो बारिश में कमी देखने को भी मिल सकती है. इससे कृषि उत्पादन भी कम रह सकता है जिससे खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.  

अल नीनो का संबंध प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है, जिसका असर मौसम पर भी देखा जाता है. अल नीनो की वजह से तापमान गर्म भी होता है. अल नीनो के चलते ठंड के मौसम में भी गर्मी रहती है, जबकि गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ जाता है और सूखे जैसे हालात भी पैदा हो जाते हैं. इसके असर से बारिश होने वाले क्षेत्रों में बदलाव देखने को मिलता है. कम बारिश वाली जगहों पर ज्यादा बारिश होती है.