पंचायत की भूमि का मालिकाना हक कब्जेदारों को देने की तैयारी में हरियाणा सरकार, ला रही नया क़ानून

The Chopal, Haryana: हरियाणा की कुछ आबादी पंचायती जमीन पर लंबे समय से रह रही है. अब राज्य सरकार ने पंचायती जमीनों पर कब्जा किए बैठे लोगों को जमीन का मालिकाना हक देने के मूढ़ में है. मिली जानकारी के मुताबिक, किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद सरकार ने कानून में संशोधन के लिए कमेटी गठित कर दी है. सूत्रों के मुताबिक सरकार कानून में संशोधन करने जा रही है. इसके तहत जिसका जितना पुराना कब्जा होगा उसे उतनी ही रियायत कलेक्टर रेट में देकर जमीन का मालिकाना हक दे दिया जाएगा. वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है वह ताजा कानून के हिसाब से दिया है.
ऐसी संपत्तियों में प्रदेश की हजारों एकड़ जमीन आती है. बैठक में यह भी मुददा उठा कि आधा फरीदाबाद और गुरुग्राम ऐसी जमीनों पर बसा है. लोग कई सालों से यहां कारोबार कर रहे हैं. इन जमीनों में जुमला मालकान, मुश्तरका मालकान, शामलात देह, जुमला मुश्तरका मालकान, आबादकार, पट्टेदार, ढोलीदार, बुटमीदार व मुकरीरदार व अन्य लाखों काश्तकारों की संपत्तियां आती हैं.
मामले का स्थायी समाधान निकालने के लिए सरकार नया कानून बनाने जा रही है. पुराने कानूनों का अध्ययन करने और नए कानून तैयार करने के लिए विशेष कमेटी गठित की हुई है. इसमें मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, विकास एवं पंचायत मंत्री, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री और महाअधिवक्ता शामिल हैं. कमेटी की दो बैठकें हो चुकी हैं और अधिकारियों को कानून का प्रारूप तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं. यह कार्य अंतिम चरण में है, जल्द ही इससे संबंधित विधेयक विधानसभा में लाया जाएगा.
यह एलान प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया. वह बुधवार को यहां उनके आवास संत कबीर कुटीर पर उनसे मुलाकात करने आए भारतीय किसान यूनियन के प्रतिनिधि सुरेश कौंथ, अमरजीत मोहड़ी, मनदीप नाथवान आदि के साथ बैठक कर रहे थे. बैठक में कृषि मंत्री जेपी दलाल के साथ-साथ तमाम विभागों के आला अधिकारी भी मौजूद रहे.
प्रतिनिधियों ने अपनी कई मांगें रखीं, जिन पर सहमति बन गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान यूनियन के वकील भी कमेटी को सुझाव दे सकते हैं. मनोहर लाल ने कहा कि जो किसान वर्षों से ऐसी जमीनों पर मकान बनाकर रह रहे हैं या खेती कर रहे हैं, उनके साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होगा. उनसे जमीन नहीं छुड़वाई जाएगी लेकिन सरकार ने सख्ती की है, ताकि इस प्रकार का कोई नया कब्जा न हो सके.
यूनियन के प्रतिनिधियों द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन की मांग पर मनोहर लाल ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में सरकारी परियोजनाओं के लिए एक इंच भूमि का भी अधिग्रहण नहीं किया है. पोर्टल से भू-मालिकों की सहमति से अब तक लगभग 800-900 एकड़ भूमि सरकार खरीद चुकी है.
जुमला मुश्तरका मालकान भूमि
यह वो जमीनें हैं जिन्हें गांव के लोगों ने चकबंदी से पहले सामाजिक कार्यों जैसे गोशाला, तालाब व अन्य किसी काम के लिए छोड़ा था. इनमें से जो जमीन प्रयोग के बाद बची वो उन्हीं काश्तकारों ने अपने नाम करा लीं, जिन्होंने ये जमीन दी थीं. इन्हीं जमीनों को जुमला मुश्तरका मालकान भूमि कहा जाता है. इसी प्रकार, शामलात देह जमीन वो होती है, जो सामुदायिक उपयोग के लिए छोड़ी गई थीं.
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